सोमवार, 29 सितंबर 2025

Kumaon Regiment Centre Ranikhet #कुमाऊं रेजिमेंट के मेजर सोमनाथ शर्मा ग्राउंड में भव्य रैली का आनंद लेते हुए Ex-Servicemen एवं वीर नारियां

कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर (Kumaon Regiment Centre) द्वारा दिनांक 28 सितंबर 2025 को रानीखेत के मेजर सोमनाथ शर्मा ग्राउंड में  भव्य Mega Ex-Servicemen Rally आयोजित की गई, जानें पूरी जानकारी और मुख्य आकर्षण...🌺 🌹 


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प्रस्तावना :- उत्तराखंड की वीरभूमि रानीखेत हमेशा से भारतीय सेना और कुमाऊं रेजिमेंट का गढ़ रही है। यहां की वादियों ने अनगिनत वीर जवानों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिए। इन्हीं वीरों और उनके परिवारों के सम्मान में 28 सितंबर 2025 को रानीखेत के ऐतिहासिक मेजर सोमनाथ शर्मा ग्राउंड में एक भव्य Ex-Servicemen Mega Rally का आयोजन हुआ। इस रैली ने न केवल पूर्व सैनिकों एवं वीर नारियों को सम्मानित किया, बल्कि उनकी समस्याओं के समाधान और भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी प्रयास किया।


मेजर सोमनाथ शर्मा ग्राउंड में भव्य रैली का आयोजन और उद्देश्य :-

यह कार्यक्रम कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर (Kumaon Regiment Centre), रानीखेत के तत्वावधान में, HQ UB एरिया के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।


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कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर (Kumaon Regiment Centre) में इस भव्य रैली का मुख्य उद्देश्य था :

    📌 पूर्व सैनिकों और वीर नारियों का सम्मान

    📌 स्पर्श पेंशन और ECHS (ex servicemen contributory health scheme) जैसी योजनाओं से जुड़ी समस्याओं का समाधान।

    📌 कल्याणकारी योजनाओं और सरकारी सुविधाओं की जानकारी उपलब्ध कराना।

    📌 सैनिकों के परिवारों को भावनात्मक और सामाजिक सहयोग प्रदान करना।


Kumaon Regiment Centre Ranikhet में भव्य माहौल और उत्साह 

सुबह से ही सोमनाथ शर्मा ग्राउंड में पूर्व सैनिकों (Ex-Servicemen) और उनके परिवारों का आना शुरू हो गया था। चारों ओर सेना के बैंड की गूंज और तिरंगे की शान ने माहौल को और अधिक देशभक्ति से ओतप्रोत कर दिया।

    🚺 हजारों पूर्व सैनिक, वीर नारियाँ और उनके परिजन इस रैली का हिस्सा बने।

    🚺 मंच पर सेना के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे जिन्होंने पूर्व सैनिकों का स्वागत और मार्गदर्शन किया।

    🚺 स्थानीय सैनिक परिवारों ने भी इस आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लिया और सैनिक परिवारों का सम्मान किया।

पूर्व सैनिकों (Ex-Servicemen) एवं वीर नारियों के लिए सुविधाएँ 

रैली का सबसे अहम हिस्सा रहा विभिन्न सुविधा केंद्रों की स्थापना, जहां अलग-अलग समस्याओं और जरूरतों का समाधान किया गया।

    ⌚ स्पर्श पेंशन काउंटर :

        📌 पूर्व सैनिकों और वीर नारियों की सबसे बड़ी समस्या पेंशन से जुड़ी तकनीकी कठिनाइयाँ होती हैं।

        📌 स्पर्श पोर्टल से संबंधित शिकायतें, पेंशन में देरी, या नाम और दस्तावेज़ों की त्रुटियों को हल करने के लिए विशेष काउंटर लगाए गए।

   ⌚ ECHS (Ex servicemen contributory health scheme

        📌 स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएँ और अस्पताल नेटवर्क की जानकारी दी गई।

        📌 नए कार्ड बनाने, पुराने कार्ड अपडेट करने और चिकित्सा सेवाओं से जुड़ी शिकायतों का निपटारा किया गया।


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     AWPO (Army Welfare Placement Organisation) :

            📌 भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों और उनके बच्चों के लिए रोजगार एवं पुनर्स्थापना की जानकारी दी गई।

            📌 कई कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे जिन्होंने रोजगार अवसरों पर चर्चा की।

अन्य कल्याणकारी योजनाएँ :

        📌 शिक्षा सहायता योजनाएँ।

        📌 युद्ध वीर नारियों और शहीद परिवारों के लिए विशेष लाभ

        📌 सरकारी योजनाओं का त्वरित पंजीकरण।


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मेजर सोमनाथ शर्मा ग्राउंड में पूर्व सैनिकों एवं वीर नारियों का सम्मान :

इस रैली में उन वीरों को भी सम्मानित किया गया जिन्होंने सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी समाजसेवा और राष्ट्रहित में योगदान दिया है।

    🚺 वीर नारियों को स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र प्रदान किए गए।

    🚺 कई वरिष्ठ पूर्व सैनिकों को उनके दीर्घकालिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

    🚺 स्थानीय प्रशासन और आम नागरिकों ने सैनिकों को “देश के असली हीरो” कहकर अभिनंदन किया।


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कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर में अधिकारियों द्वारा संबोधन :

रैली के दौरान सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा :

    📌 “पूर्व सैनिक हमारे देश की रीढ़ हैं। आज हम जिस शांति और सुरक्षा का अनुभव कर रहे हैं, वह उनकी ही देन है।”

    📌 अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि स्पर्श पोर्टल में स्पर्श पेंशन, स्वास्थ्य और पुनर्वास से जुड़ी समस्याओं का त्वरित समाधान किया जाएगा।

    📌 भविष्य में भी ऐसी रैलियों के आयोजन की घोषणा की गई ताकि किसी भी पूर्व सैनिक को उपेक्षित महसूस न हो।


                                                                                                                भारतीय सेना द्वारा मेजर सोमनाथ शर्मा ग्राउंड में देशभक्ति का संदेश :

यह रैली सिर्फ एक प्रशासनिक कार्यक्रम ही नहीं, बल्कि देशभक्ति का जश्न भी था

    📌 सोमनाथ ग्राउंड में हर तरफ “जय हिंद” के नारे गूंज रहे थे।

    📌  पूर्व सैनिकों ने अपने पुराने साथियों से मिलकर यादें ताजा कीं।

    📌  युवा पीढ़ी ने सैनिकों की कहानियाँ सुनकर प्रेरणा ली और फौज में भर्ती होने का संकल्प लिया।


निष्कर्ष :- 28 सितंबर 2025 को रानीखेत के मेजर सोमनाथ शर्मा ग्राउंड में आयोजित यह Mega Ex-Servicemen Rally पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिए एक यादगार दिन साबित हुई।


इस आयोजन ने स्पष्ट कर दिया कि भारतीय सेना अपने जवानों को सेवानिवृत्ति के बाद भी नहीं भूलती। उनकी समस्याओं के समाधान, उनके सम्मान और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिए लगातार प्रयास होते रहते हैं।

रानीखेत की यह रैली न केवल पूर्व सैनिकों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक संदेश लेकर आई – “देश अपने वीरों के त्याग का महत्व को कभी नहीं भूलता।”


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गुरुवार, 25 सितंबर 2025

परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर (Honorary Lieutenant) संजय कुमार की प्रेरणादायक जीवनी #Kargil ka yuddh

कारगिल युद्ध में परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर (Honorary Lieutenant) संजय कुमार की वीरता, परमवीर चक्र सम्मान और प्रेरणादायक जीवन यात्रा जानिए...🌹 


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परिचय :- भारत की सेना में बहादुरी और देशभक्ति की मिसाल बने सूबेदार मेजर ऑनरी लेफ्टिनेंट  संजय कुमार (Honorary Lieutenant, Subedar Major, परमवीर चक्र) का नाम आज भी गर्व से लिया जाता है। वे भारत की उन चुनिंदा जिंदा़ परमवीर चक्र विजेताओं में से एक हैं। 

Subedar Major (Honorary Lieutenant) संजय कुमार का प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि : 


    🚺 न्म एवं परिवार :- Rifleman संजय कुमार का जन्म 3 मार्च 1976 को हिमाचल प्रदेश के बिलास्पुर जिले की गाँव कलोल बकाइँ (Kalol Bakain) में हुआ। उनके परिवार की पृष्ठभूमि सामान्य थी।

    🚺 शैक्षिक एवं रोज़गार जीवन :-  स्कूल शिक्षा Rifleman Sanjay Kumar अपने गृह गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की। 

    🚺 सेना में शामिल होने से पहले, उन्होंने दिल्ली में टैक्सी चलाने का काम किया था। 

    🚺 उनके आवेदनों में शुरुआत में तीन बार अस्वीकृति हुई थी, लेकिन हार न मानने वाले संकल्प ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की। 

 

भारतीय सेना (13 JAK Rifles) में करियर और कारगिल युद्ध में वीरता 

सेना में प्रवेश 

Rifleman संजय कुमार ने 26 जून 1996 को 13 Jammu & Kashmir Rifles (13 JAK Rif) बटालियन में शामिल होकर सेना जीवन की शुरुआत की। 

कारगिल युद्ध  और Point 4875 का अभियान : 

👉 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान, 4 जुलाई 1999 को, Rifleman संजय कुमार को Point 4875 (Flat Top / Area Flat Top) के कब्ज़े के अभियान में हिस्सा लेने वाले अग्रिम दल का लीड स्काउट (leading scout) बनाया गया। 

👉 जब भारतीय सैनिकों की पेशकश दुश्मन की मशीनगन की आग की वजह से रुकी, तब संजय कुमार ने अकेले ही एक खतरनाक चढ़ाई (steep slope) पर चुपके से आगे बढ़ते हुए दुश्मन बंकर पर हमला किया 


👉 वे दो गोले सीने व बांह में लगने के बावजूद, आगे बढ़े। हाथ-मुक्का (hand-to-hand combat) में उन्होंने तीन दुश्मन सैनिकों को मार गिराया। इसके बाद उन्होंने एक Universal Machine Gun (UMG) छीन ली और दुसरे बंकर को भी निशाना बनाया, जहाँ दुश्मन भागनेलगे 


👉 उनकी इस साहसिक कार्रवाई से अन्य साथियों को आत्मबल मिला और भारतीय सैनिकों ने Point 4875 (Flat Top, Area Flat Top) को सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया।

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परमवीर चक्र सम्मान 

उनकी इस अद्वितीय वीरता के लिए उन्हें 15 अगस्त 1999 को भारत का सर्वोच्च युद्धकालीन सम्मान परमवीर चक्र (ParamVir Chakra, पीवीसी) से नवाजा गया। 

परमवीर चक्र विजेता की कारगिल युद्ध के बाद की सेवा और पदोन्नति 
  • Kargil ka yuddh के बाद उन्होंने सेना में सेवा जारी रखी। 
  • फरवरी 2022 में उन्हें सूबेदार मेजर (Subedar Major) के पद पर पदोन्नत किया गया।
  • उन्हें Honorary Lieutenant (सम्मानयुक्त लेफ्टिनेंट) का पद भी प्रदान किया गया है।
  • कुछ समाचारों के अनुसार, उन्हें National Defence Academy, Pune / Khadakwasla में तैनात किया गया था। 

 

प्रेरणा और सामाजिक योगदान 

  • आज भी परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर (Honorary Lieutenant) संजय कुमार की कहानी देश भर में युवाओं को सेना में जानेबलिदानदेशभक्ति और साहस का भाव सीखाती है।
  • परमवीर चक्र विजेता समय-समय पर सैनिकों और विभिन्न कार्यक्रमों में उपस्थित होते हैं, अपने अनुभव साझा करते हैं और नयी पीढ़ी को प्रेरित करते हैं।
  • हाल ही में, उन्हें संजय द्वीप (Sanjay Dweep) नामक एक द्वीप से सम्मानित किया गया जो उनके नाम पर नामित किया गया है।
  • इंडिगो एयरलाइन ने एक उड़ान के दौरान उन्हें सम्मानित किया और ट्वीट सोशल मीडिया पर साझा किया गया।

  

निष्कर्ष :-  परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर (Honorary Lieutenant) संजय कुमार का जीवन हमें याद दिलाता है कि संकल्पविश्वासनिडरता और कर्तव्यपरायणता कैसे किसी व्यक्ति को राष्ट्र का हीरो बना सकती है। उनकी वीरता न सिर्फ युद्ध के मैदान में चमकी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने वाली अमिट प्रेरणा बन गई। 

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🟢 FAQ Section (प्रश्नोत्तर) 

प्रश्न 1: Rifleman संजय कुमार कौन हैं ?

उत्तर: Rifleman संजय कुमार भारतीय सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स के जवान हैं, जिन्होंने 1999 के करगिल युद्ध में अद्वितीय वीरता दिखाई। उन्हें भारत का सर्वोच्च युद्धकालीन सम्मान परमवीर चक्र प्रदान किया गया।

प्रश्न 2: Rifleman संजय कुमार को परमवीर चक्र क्यों मिला ?

उत्तर: करगिल युद्ध के दौरान Point 4875 पर हमला करते समय संजय कुमार ने अकेले दुश्मन बंकर पर कब्जा किया, घायल होने के बावजूद तीन पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और मशीनगन छीनकर दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। इस असाधारण वीरता के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

प्रश्न 3: संजय कुमार का जन्म कहाँ हुआ था ?

उत्तर: संजय कुमार का जन्म 3 मार्च 1976 को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के कलोल बकाइँ गाँव में हुआ था।

प्रश्न 4: करगिल युद्ध में संजय कुमार की भूमिका क्या थी ?

उत्तर: वे लीडिंग स्काउट के रूप में दुश्मन की मशीनगन पोजीशन पर चढ़ाई कर रहे थे। गोली लगने के बावजूद उन्होंने दुश्मन के बंकर पर कब्जा किया और बाकी सैनिकों के लिए रास्ता साफ किया।

प्रश्न 5: संजय कुमार वर्तमान में कहाँ सेवा दे रहे थे ?

उत्तर: कारगिल युद्ध के बाद भी उन्होंने सेना में सेवा जारी रखी। फरवरी 2022 में उन्हें सूबेदार मेजर पद पर पदोन्नत किया गया। साथ ही, उन्हें Honorary Lieutenant की मानद उपाधि भी मिली थी।

प्रश्न 6: क्या संजय कुमार जीवित परमवीर चक्र विजेताओं में शामिल हैं ?

उत्तर: हाँ, संजय कुमार भारत के कुछ चुनिंदा जिंदा परमवीर चक्र विजेताओं में शामिल हैं और आज भी सैनिकों व युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं।


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मंगलवार, 23 सितंबर 2025

गढ़वाल राइफल्स के राइफलमैन गणेश जोशी : एक सैनिक से मंत्री तक का प्रेरणादायक सफ़र #Uttarakhand Soldier Welfare Minister Rifleman Ganesh Joshi

जानें, गढ़वाल राइफल्स के Rifleman Ganesh Joshi कैसे बने सैनिक कल्याण मंत्री ? जानना हम सभी भारतीयों के लिए प्रेरणादायक है...🌹 


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प्रस्तावना :- भारत की धरती हमेशा से वीरों की धरती रही है। उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य ने हमेशा ही देश को असंख्य सैनिक और सेनानी दिए हैं। इन्हीं में से एक नाम है गढ़वाल राइफल्स के राइफलमैन गणेश जोशी जी का, जिन्होंने गढ़वाल राइफल्स में एक जवान के रूप में सेवा दी और बाद में राजनीति के क्षेत्र में उतरकर उत्तराखंड के एक लोकप्रिय नेता और मंत्री बने। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्ची लगन और निस्वार्थ सेवा से इंसान किसी भी मुकाम को हासिल कर सकता है। जोशी देहरादून जिले के मसूरी निर्वाचन क्षेत्र से  उत्तराखंड विधानसभा के पाँचवी बार सदस्य हैं


गढ़वाल राइफल्स के राइफलमैन गणेश जोशी का प्रारंभिक जीवन और सेना में भर्ती  

Rifleman गणेश जोशी का जन्म 1 फरवरी 1960 को उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून में हुआ। बचपन से ही उनमें देश सेवा का जज़्बा था। सेना परिवार से प्रेरणा लेकर उन्होंने गढ़वाल राइफल्स में भर्ती होने का निश्चय किया।

  • उन्होंने 1976 से 1983 तक भारतीय सेना में राइफलमैन के पद पर शामिल हुए।  

  • गढ़वाल राइफल्स जैसी शौर्य और वीरता से भरी रेजिमेंट का हिस्सा होना अपने आप में गौरव की बात है।

  • सेना के दौरान उन्होंने अनुशासन, पराक्रम और त्याग को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना लिया।


Bhartiya thal sena में गढ़वाल राइफल्स का योगदान  

गढ़वाल राइफल्स भारतीय सेना की एक ऐतिहासिक रेजिमेंट है, जिसने हर युद्ध में अपनी बहादुरी एवं पराक्रम से देश का मान बढ़ाया। गणेश जोशी का इस रेजिमेंट से जुड़ना उनके व्यक्तित्व को और मजबूत बनाता है।

    🚺 यहां उन्होंने सीमाओं पर ड्यूटी निभाई।

    🚺 दुर्गम परिस्थितियों में भी सेवा करते हुए उन्होंने सैनिक जीवन की कठिनाइयों को नज़दीक से जिया।

    🚺 इसी जीवन ने उन्हें आगे चलकर जनता के बीच एक सशक्त और अनुशासित नेता बनने की प्रेरणा दी।


Rifleman Ganesh Joshi का सेना से राजनीति तक का सफ़र  

सैनिक जीवन के बाद गणेश जोशी ने राजनीति में कदम रखा। सेना से मिला अनुभव, अनुशासन और देशभक्ति की भावना उनके लिए राजनीति में सबसे बड़ा हथियार साबित हुई। यह सभी के लिए प्रेरणादायक है।

  • वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े।

  • जनता के बीच bhartiya thal sena के एक जवान की छवि एक सच्चे सैनिक नेता की बनी।

  • उनका लक्ष्य था – सैनिकों, किसानों और आम जनता की आवाज़ उठाना


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Rifleman Ganesh Joshi 
देहरादून की मसूरी सीट से विधायक :  

गणेश जोशी ने अपनी राजनीतिक पारी देहरादून की मसूरी सीट से शुरू की।

    👉 पहली बार उन्होंने जनता का भरोसा जीता और विधायक बने।

    👉 लगातार कई बार इस सीट से विजयी होकर उन्होंने यह साबित किया कि जनता उन्हें ईमानदार और समर्पित नेता मानती है।

    👉 उनकी कार्यशैली सैनिक जीवन जैसी ही रही – अनुशासन, समय पर काम और जनता से सीधा संवाद


गढ़वाल राइफल्स के राइफलमैन गणेश जोशी का मंत्री पद तक का सफ़र : 


सिर्फ विधायक ही नहीं, गणेश जोशी को उत्तराखंड सरकार में मंत्री बनने का भी अवसर मिला।

  • वर्तमान में वे उत्तराखंड सरकार में सैनिक कल्याण मंत्री के रूप में कार्यरत हैं।

  • उन्होंने किसानों के हित में कई योजनाओं को आगे बढ़ाया।

  • राज्य में कृषि को आत्मनिर्भर बनाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में उनकी नीतियों की सराहना होती है।


प्रेरणादायक राजनीतिक पृष्ठभूमि  : 

🚺 1984 में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में शामिल हुए और नीचे दिए गए विभिन्न पदों पर कार्य किया।
🚺 सचिव, भारतीय जनता युवा मोर्चा, देहरादून शहर (1985-89)
🚺 उपाध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा, देहरादून शहर (1989-92)
🚺 अध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा, देहरादून शहर (1994-96)
🚺 मंडलप्रभारी, भारतीय जनता युवा मोर्चा, गढ़वाल मंडल (1996-98)
🚺 भाजपा सचिव, देहरादून शहर (1998-2000)
🚺 जिला महासचिव, भाजपा, देहरादून महानगर (2000-2002)
🚺 प्रदेश महासचिव, स्थानीय निकाय प्रकोष्ठ, उत्तरांचल
🚺 2007 में राजपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए
🚺 2009 में उत्तराखंड विधान सभा की आवास समिति के अध्यक्ष मनोनीत
🚺 2012 में मसूरी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए
🚺 2017 में मसूरी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए
🚺 2022 में मसूरी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए

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Rifleman Ganesh Joshi की चुनौतियाँ और संघर्ष : 


गणेश जोशी जी का जीवन आसान नहीं रहा।

  • सैनिक जीवन में सीमाओं पर कठिनाई झेलनी पड़ी।

  • राजनीति में उन्हें कई बार आलोचना और विवादों का भी सामना करना पड़ा।

  • लेकिन उनकी ईमानदारी और साफ़ छवि ने हमेशा उन्हें मजबूत बनाए रखा।


गढ़वाल राइफल्स के राइफलमैन गणेश जोशी की  समाजसेवा और योगदान : 

मंत्री रहते हुए भी वे सैनिकों और पूर्व सैनिकों के मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं।

    👉 वे पूर्व सैनिकों की पेंशन, सम्मान और कल्याण योजनाओं पर विशेष ध्यान देते हैं।

    👉 किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए भी उन्होंने कई कार्यक्रम शुरू किए।

    👉 उनका उद्देश्य केवल राजनीति करना नहीं बल्कि जनसेवा करना है।



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राजनीतिक गतिविधियाँ : 


    📌 1991 में राम जन्म भूमि आंदोलन के दौरान पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए और गिरफ्तार हुए ।

    📌 उत्तराखंड आंदोलन के दौरान 3 अक्टूबर 1994 को डीआईजी कैम्पस, देहरादून में आंदोलन में घायल हुए।

    📌 16 दिसम्बर 1994 को पुलिस नियंत्रण कक्ष में घायल होकर गिरफ्तार कर लिया गया और 27 दिनों के लिए बरेली सेंट्रल जेल भेज दिया गया।

    📌 इसके अलावा कई अन्य आंदोलन और रैलियों में भी सक्रिय रूप से भाग लिया।

    📌 15 फरवरी 2017 को भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने जोशी को 2017 के विधानसभा चुनाव में भाग लेने की अनुमति दी थी। उन्होंने मार्च 2016 में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस के घोड़े शक्तिमान को कथित तौर पर पीटा और लात मारी थी , जिससे उसके पैर में चोट आई थी और अंततः एक महीने बाद उसकी मृत्यु हो गई थी।

गढ़वाल राइफल्स के गणेश जोशी जी क्यों हैं खास ? 


    🚺 सैनिक पृष्ठभूमि से आने के कारण वे जनता के दुःख–दर्द को गहराई से समझते हैं।
    🚺 राजनीति में भी उनका अंदाज़ सरल और जमीनी है।
    🚺 जनता उन्हें एक सैनिक नेता और जनसेवक दोनों रूपों में देखती है।

निष्कर्ष :- गढ़वाल राइफल के राइफलमैन गणेश जोशी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा है।

    📌 उन्होंने यह साबित किया कि एक सैनिक चाहे तो मैदान बदलने के बाद भी देश सेवा कर सकता है
    📌 सेना में रहते हुए उन्होंने देश की सीमाओं की रक्षा की और राजनीति में आकर जनता की सेवा।
    📌 जवान से लेकर मंत्री बनने तक का उनका सफ़र न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है।

"एक जवान से मंत्री तक की यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि सच्चे कर्म और सेवा की भावना से ही जीवन का वास्तविक उद्देश्य पूरा होता है।" 


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