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सोमवार, 18 नवंबर 2024

कुमाऊं रेजिमेंट के युद्ध नायकों को समर्पित "रेजांग ला एक्सप्रेस" का शुभारंभ #Major Saitan Singh Bhati, PVC Kumaon Regiment

हिन्दुस्तान की सबसे पुरानी रेजीमेंटों में से एक कुमाऊं रेजिमेंट के युद्ध नायकों को समर्पित रेजांग ला एक्सप्रेस का शुभारंभ.....


दिनांक 18 नवंबर 2024 का दिन भारतीय सेना के कुमाऊं रेजिमेंट के लिए बहुत ही खास, ऐतिहासिक एवं गर्वपूर्ण दिन है। इस दिन को हमेशा हमेशा के लिए याद किया जाएगा। कुमाऊं एवं नागा रेजिमेंट के कमांडेन्ट ब्रिगेडियर संजय कुमार यादव (VSM) ने इज्जतनगर रेलवे स्टेशन पर रेजांगला एक्सप्रेस की पहली लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह लोकोमोटिव कुमाऊं रेजिमेंट के युद्ध नायकों को समर्पित है और उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी।



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युद्ध में शहीद सैनिकों की गाथा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए रेलवे ने सेना के साथ मिलकर नई पहल की है। उसने पूर्वोत्तर रेलवे इज्जनगर में बेटल आफ रेजांगला के नाम से दो इंजन तैयार किए हैं। इन पर चीन के साथ हुए युद्ध के वीर सैनिकों की जीवन गाथा को उकेरा गया है।



भारत सरकार की एक बहुत ही शानदार कोशिश जो कि पुराने विदेशी नामों को  बदलकर भारतीय नामों से जानने की है। इसी क्रम में रेजांगला एक्सप्रेस का प्रेरणा स्रोत वह ऐतिहासिक रेजांगला का युद्ध है, जहां कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिकों ने अद्वितीय साहस और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया था, जब वे असाधारण चुनौतियों का सामना कर रहे थे। इस लोकोमोटिव को इन वीर योद्धाओं को समर्पित करके, भारतीय रेलवे और भारतीय सेना उनकी विरासत को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों को उनके देशभक्ति और शौर्य की कहानियों से प्रेरित करने का उद्देश्य रखते हैं।


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चीन युद्ध के वीरों की वीरगाथा बताने निकला 'बैटल ऑफ रेजांगला इंजन'


इज्जतनगर स्टेशन पर हुए कार्यक्रम में सेना बैंड की धुन के बीच हुए कार्यक्रम में डीआरएम रेखा यादव ने कहा कि रेलवे और सेना का प्रयास था कि इसके जरिए लोगों को चीन युद्ध में वीरगति को प्राप्त शहीदों के बारे में जानकारी दी जाए। यह इंजन मालगाड़ी में लग कर देश के विभिन्न स्टेशनों पर जाएंगे। ब्रिगेडियर कुमाऊं रेजिमेंट संजय यादव ने बताया कि 18 नवंबर 1962 को हुई जंग इतिहास में दर्ज है। किस तरह 18000 मीटर की ऊंचाई पर बर्फ के बीच भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को युद्ध में पराजित किया। सैनिकों की वीरगाथा इंजन पर स्कैनर के जरिए दर्शाई गई है। इस मौके पर एडीआरएम मोहम्मद शमीम, सीनियर डीसीएम संजीव शर्मा सहित रेल अधिकारी शामिल रहे।


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इस अवसर पर ब्रिगेडियर संजय कुमार यादव, विशिष्ट सेवा मेडल (VSM), कमान्डेंट कुमाऊं एवं नागा रेजिमेंट सेंटर ने सशस्त्र बलों के बलिदानों को पहचानने और उनका जश्न मनाने में भारतीय रेलवे के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने ऐसे वीरतापूर्ण कार्यों को याद रखने के महत्व को रेखांकित किया, जिससे सभी नागरिकों में गर्व और जिम्मेदारी की भावना जागृत हो सके। यह पहल, जिसे नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे विशेष रूप से इज्जतनगर डिवीजन के सहयोग से कार्यान्वित किया गया है, भारतीय सेना और नागरिकों के बीच मजबूत संबंधों को रेखांकित करती है। इस कार्यक्रम के दौरान शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जिसमें गणमान्य व्यक्तियों, अधिकारियों और नागरिकों ने एकत्र होकर उनकी स्मृति का सम्मान किया।


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यह पहल भारतीय सेना और भारतीय रेलवे की उस साझा प्रतिबद्धता का प्रमाण है जो राष्ट्र और इसके रक्षकों के सम्मान को बनाए रखने के लिए है। जय हिन्द 🇮🇳, जय भारत 🇮🇳 के नारे के साथ इस पहल को सदा हर हिन्दुस्तानी द्वारा याद किया जाएगा। 


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भारतीय रेल ने 1962 के युद्ध में चीनी सेना के दांत खट्टे करने वाली भारतीय सेना की ’13 कुमाऊं’ यूनिट (बटालियन) के सम्मान में अपने एक ट्रेन के इंजन को समर्पित किया है। भारतीय रेल ने इस इंजन को ‘रेज़ांगला ‘ नाम दिया है। क्योंकि पूर्वी लद्दाख के रेज़ांगला में ही 13 कुमाऊं के वीर सैनिकों ने अदम्य साहस, वीरता और बलिदान का परिचय दिया था। रेजांगला और ‘कुमाऊं रेजीमेंट’ लिखे इस ट्रेन के इंजन का वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में इंजन लोको-शेड से पहली बार बाहर आता दिखाई पड़ रहा है। इंजन पर 13 बटालियन, कुमाऊं रेजीमेंट और रेजांगला के साथ सेना का आदर्श वाक्य, ‘नाम, नमक और निशान’ भी लिखा हुआ है।


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1788 में हुई थी 🇮🇳कुमाऊं रेजीमेंट🇮🇳 की स्थापना.....


कुमाऊं रेजीमेंट की स्थापना वर्ष 1788 में हुई थी। जिसका मुख्यालय उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के रानीखेत में है। भारतीय सेना के वीरता का प्रथम सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित है। जो मेजर सोमनाथ शर्मा कुमाऊं रेजीमेंट को मरणोपरांत 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के लिए दिया था। 1962 के भारत और चीन युद्ध के लिए विशेष गौरवपूर्ण माना जाता है। सूत्रों के मुताबिक रक्षा और रेल मंत्रालय के बीच हुई उच्चस्तरीय वार्ता के बाद यह पहल की गई है। पिछले दिनों सेना के अफसरों ने भी डीजल शेड में इस कार्य का निरीक्षण किया था।



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🙏🇮🇳जय हिन्द🇮🇳🙏 

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