🇮🇳 जानें, कारगिल युद्ध के शेर : कैप्टन विक्रम बत्रा का देश के लिए बलिदान : शौर्य और बलिदान के अमर नायक परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा की जयंती...🌹
| (Kargil War Memorial with Tololing Ranges) |
परिचय :- भारत माता के वीर सपूत, कैप्टन विक्रम बत्रा (Param Vir Chakra Vijeta) का नाम इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। सन् 1999 कारगिल युद्ध के दौरान उनके अदम्य साहस और बलिदान ने उन्हें "शेरशाह" की उपाधि दिलाई। हर साल उनकी जयंती देशवासियों के लिए वीरता, देशभक्ति और बलिदान की प्रेरणा लेकर आती है।
कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था। उनके पिता जी.एस. बत्रा स्कूल प्रिंसिपल और मां कमलकांता बत्रा अध्यापिका थीं। बचपन से ही उनमें देश सेवा की भावना थी।
📌 उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पालमपुर से प्राप्त की।
📌 चंडीगढ़ के DAV कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की।
📌 एन.सी.सी. (NCC) में शामिल होकर उन्होंने सैन्य जीवन की दिशा तय की।
🇮🇳 कैप्टन विक्रम बत्रा का भारतीय सेना में योगदान
कैप्टन विक्रम बत्रा ने 1996 में भारतीय सेना की जम्मू-कश्मीर राइफल्स (13 JAK Rifles) में कमीशन प्राप्त किया।
📌 प्रशिक्षण के दौरान ही उनके साहस और नेतृत्व की झलक देखने को मिली।
📌 उन्हें "जेंटलमैन कैडेट" के रूप में विशेष सम्मान मिला।
📌 वे सदैव अपने साथियों को प्रेरित करते और कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उत्साह बनाए रखते थे।
कारगिल युद्ध के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा का सर्वोच्च बलिदान
कैप्टन विक्रम बत्रा ने केवल 24 साल की उम्र में देश के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए, उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान, परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनकी शहादत ने यह साबित कर दिया कि एक सैनिक के लिए देश से बढ़कर कुछ नहीं होता।
कैप्टन विक्रम बत्रा का जीवन हमें सिखाता है कि कुछ भी असंभव नहीं है, अगर हमारे इरादे मजबूत हों। उनका बलिदान न केवल हमारे लिए एक प्रेरणा है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि हमारी स्वतंत्रता और सुरक्षा के पीछे ऐसे ही अनगिनत वीरों का बलिदान है।
कारगिल युद्ध के हीरो का कोडवर्ड "ये दिल मांगे मोर"
1999 में, जब कारगिल युद्ध शुरू हुआ, तब कैप्टन विक्रम बत्रा को प्वाइंट 5140 पर कब्ज़ा करने की जिम्मेदारी दी गई। यह एक बेहद मुश्किल मिशन था। इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, उन्होंने गर्व से अपना कोडवर्ड "विक्टर" से बदलकर "ये दिल मांगे मोर" कर दिया। यह वाक्य आज भी उनके अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
अगला मिशन था प्वाइंट 4875, जो बेहद रणनीतिक और खतरनाक जगह थी। कैप्टन विक्रम बत्रा ने इस मिशन का नेतृत्व किया, लेकिन इस दौरान एक साथी जवान घायल हो गया। जब वह उसे बचाने के लिए आगे बढ़े, तो दुश्मन की गोली से शहीद हो गए। उनकी आखिरी शब्द थे, "जय माता दी"।
| (President K. R. Narayanan presenting the Param Vir Chakra (posthumous) to the father of Captain Vikram Batra, 13 Jammu and Kashmir Rifles) |
कारगिल युद्ध और "शेरशाह" का शौर्य
1999 के कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा की भूमिका निर्णायक रही।
प्वाइंट 5140 पर विजय
कारगिल युद्ध के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा का सम्मान और पहचान
कैप्टन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत परमवीर चक्र (PVC) से सम्मानित किया गया।
📌 कारगिल युद्ध के सबसे बड़े नायकों में उनका नाम लिया जाता है।
📌 उन्हें "शेरशाह ऑफ कारगिल" कहा जाता है।
📌 उनके नाम पर विद्यालय, संस्थान और सड़कें आज भी उनकी वीरता की याद दिलाती हैं।
The Kargil War प्रेरणा और विरासत
कैप्टन विक्रम बत्रा का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।
📌 उनका नारा "ये दिल मांगे मोर" आज भी देशभक्ति का प्रतीक है।
📌 उनके बलिदान ने यह सिद्ध किया कि भारतीय सेना किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम है।
📌 आज भी लाखों युवा उन्हें आदर्श मानकर सेना में शामिल होने का सपना देखते हैं।
परमवीर चक्र विजेता, कैप्टन विक्रम बत्रा जयंती पर विशेष संदेश
हर साल 9 सितंबर को कैप्टन विक्रम बत्रा की जयंती हमें याद दिलाती है कि देश की आज़ादी और सुरक्षा हमारे वीर सैनिकों के बलिदान से ही संभव है। इस दिन हमें न केवल उनके शौर्य को याद करना चाहिए, बल्कि उनके आदर्शों को जीवन में अपनाना भी चाहिए।
| (The town of Dras, the second coldest inhabited place in the world) |
निष्कर्ष :- कैप्टन विक्रम बत्रा का जीवन साहस, नेतृत्व और बलिदान का अनुपम उदाहरण है। उनकी जयंती पर हम सभी उन्हें नमन करते हैं और वचन लेते हैं कि उनकी शहादत को सदैव याद रखेंगे।
आइए, उनके जन्मदिन पर हम सब मिलकर इस महान नायक को श्रद्धांजलि अर्पित करें और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लें।
कैप्टन विक्रम बत्रा अमर रहें, भारत माता की जय।
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