हमारे देश में बहुत सारे अवसर हैं, जब हम अपने देश के ध्वज तिरंगे को फहराते हैं। जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस को आदि। देश में किस प्रकार से तिरंगे को फहराना है और ध्वज फहराते समय क्या क्या बातें ध्यान में रखनी हैं, उसके लिए हमारे देश में 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं। इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है। तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है। तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा, जिसका अनुपात 3:2 तय है। वहीं जबकि अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगे का भी अपना बहुत महत्व है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। तिरंगा भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हमें तिरंगे का इतिहास और महत्व अवश्य जानना चाहिए।
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भारतीय तिरंगे का इतिहास और महत्व.....
दुनिया में हर देश का अपना राष्ट्रीय ध्वज होता है, जो एक स्वतंत्र देश का प्रतीक होता है। हमारा तिरंगा भी हमारी आजादी का प्रतीक है। 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों से भारत की आजादी से कुछ दिन पहले 22 जुलाई, 1947 को आयोजित हुई संविधान सभा की बैठक में भारत के राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरूप में अपनाया गया था। 15 अगस्त, 1947 से 26 जनवरी, 1950 के बीच यह भारत के डोमिनियन के ध्वज के रूप में कार्य करता था। साल 1950 के बाद यह भारत गणराज्य का प्रतीक बन गया।
भारतीय तिरंगे में कितने रंग.....
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं। इसमें सबसे ऊपर गहरा केसरिया (केसरी), बीच में सफेद और सबसे नीचे गहरा हरा रंग होता है। इसके अलावा बीच में 24 तीलियों वाला एक नेवी ब्लू व्हील या चक्र होता है। यह अशोक के सारनाथ सिंह स्तंभ के एबेकस पर दिखाई देने वाले डिजाइन के समान है और इसका व्यास सफेद बैंड की चौड़ाई के बराबर है। झंडे की चौड़ाई और लंबाई का अनुपात दो से तीन है।
भारतीय तिरंगे के तीन रंगों का अर्थ.....
हमारे राष्ट्रीय ध्वज का केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है। वहीं सफेद रंग धर्म चक्र के साथ शांति और सच्चाई को दर्शाता है और हरा रंग भूमि की उर्वरता, विकास और शुभता को दर्शाता है। इसके अलावा बीच में मौजूद धर्म चक्र मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाई गई सारनाथ राजधानी में "कानून के पहिये" को दर्शाया है। यह दर्शाता है कि गति में जीवन है और ठहराव में मृत्यु है।
24 तीलियों का मनुष्य गुणों के तर्ज पर महत्व .....
1. पहली तीली - संयम
2. दूसरी तीली - आरोग्य
3. तीसरी तीली - शांति
4. चौथी तीली - त्याग
5. पांचवीं तीली - शील
6. छठवीं तीली - सेवा
7. सातवीं तीली - क्षमा
8. आठवीं तीली - प्रेम
9. नौवीं तीली - मैत्री
10. दसवीं तीली - बन्धुत्व
11. ग्यारहवीं तीली - संगठन
12. बारहवीं तीली - कल्याण
13. तेरहवीं तीली - समृद्धि
14. चौदहवीं तीली - उद्योग
15. पंद्रहवीं तीली - सुरक्षा
16. सौलहवीं तीली - नियम
17. सत्रहवीं तीली - समता
18. अठारहवी तीली - अर्थ
19. उन्नीसवीं तीली - नीति
20. बीसवीं तीली - न्याय
21. इक्कीसवीं तीली - सहकार्य
22. बाईसवीं तीली - कर्तव्य
23. तेईसवी तीली - अधिकार
24. चौबीसवीं तीली - बुद्धिमत्ता
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