रविवार, 21 सितंबर 2025

कारगिल युद्ध के परमवीर चक्र विजेता — कैप्टन मनोज पांडेय की वीरता और बलिदान की अमर गाथा #Param Vir Chakra Vijeta

ऑपरेशन विजय के दौरान 1999 कारगिल युद्ध के शौर्यपथिक नायक परमवीर चक्र विजेता  (Param Vir Chakra Vijeta) कैप्टन मनोज पांडेय की वीरता एवं बलिदान का परिचय...🌺 🌹 


गोरखा कमांडो #Param Vir Chakra Vijeta #मनोज पांडेय #ऑपरेशन विजय #कारगिल युद्ध के परमवीर चक्र विजेता
✅ रिचय :- भारत के वीरों की पंक्तियों में जब नामों को याद किया जाता है, तो एक ऐसा नाम है जिसने सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ साहस की नई मिसालें कायम की। जैसे गोरखा कमांडो कैप्टन मनोज कुमार पांडे। कारगिल युद्ध (1999) में उनकी अदम्य बहादुरी ने उन्हें परमवीर चक्र दिलाया, जो हमारी सर्वोच्च सैन्य वीरता की पहचान है। आइये जानते हैं, मनोज पांडे की जीवनी, उनके बचपन से लेकर सैन्य जीवन, युद्ध की लड़ाइयाँ, वीरगति, एवं उनकी प्रेरणादायक विरासत। सन 1999 में कारगिल युद्ध में उनके विशिष्ट वीरतापूर्ण कार्यों के लिए मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान, परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।


✅ कैप्टन मनोज पांडेय का शुरुआती जीवन और शिक्षा  

    📌 जन्म एवं परिवार : कैप्टन मनोज कुमार पांडे का जन्म 25 जून 1975 को यूपी के सिटापुर जिले के रुधा गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम गोपी चंद पांडे और माता का नाम मोहीनी पांडे था। 

    📌 शिक्षा : प्रारंभिक शिक्षा रानी लक्ष्मी बाई मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल तथा यूपी सैनिक स्कूल, लखनऊ में हुई। 

    📌 स्वभाव एवं रुचियाँ : बचपन से ही साहसिक भाव और देशभक्ति की भावना थी। उन्हें खेल-कूद में विशेष रुचि थी, खासकर बॉक्सिंग और बॉडी बिल्डिंग में। 

✅ परमवीर चक्र विजेता का सैन्य प्रशिक्षण और करियर  

    🚺 NDA और IMA : उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के 90वें कोर्स से प्रशिक्षण लिया। 

    🚺 7 जून 1997 को उन्होंने भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त किया और 1/11 Gorkha Rifles (प्रथम बटालियन) में अधिकारी बने। 

    🚺 उनकी तैनातियाँ कठिन इलाकों में हुईं, जैसे कि सियाचिन और बादलिक क्षेत्र। 


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✅ कारगिल युद्ध एवं वीरता की कहानी  

कारगिल हीरो कैप्टन मनोज कुमार पांडेय भारतीय सेना के एक अधिकारी थे, जिन्हें 1999 के कारगिल युद्ध में उनके विशिष्ट वीरतापूर्ण कार्यों के लिए मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान, परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। मनोज कुमार पांडेय 11 गोरखा राइफल्स (1/11 GR) की पहली बटालियन के अधिकारी थे।

    📌 परिस्थिति : 1999 में “Operation Vijay” (ऑपरेशन विजय) के अंतर्गत बादलिक सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठ हुई थी। 

    📌 जबरटोप और कलुबार का अभियानी हिस्सा : 1/11 Gorkha Rifles की ‘B’ कंपनी को कलुबार रेंज (Khalubar Ridge) और Point 5287 सहित अन्य रणनीतिक टॉप्स कब्ज़ा करने का जिम्मा मिला। कैप्टन मनोज पांडे प्लाटून नंबर 5 का नेतृत्व कर रहे थे। 

    📌 2-3 जुलाई 1999 की रात का घटना क्रम : प्लाटून के बादलिक के कलुबार टॉप की ओर बढ़ते वक्त भारी दुश्मन फायरिंग हुई। 

    📌 उन्होंने अपने दल को सही स्थिति में स्थापित किया, एक सेक्शन को दाहिनी ओर दुश्मन पदों से निपटने हेतु भेजा और खुद बाएँ ओर से अग्रिम हमला किया। दो दुश्मन बंकर उन्होंने नष्ट किए। तीसरे बंकर में कंधे और पैरों में ज़ख्मी होने के बावजूद चौथे बंकर पर ग्रेनेड से हमला किया लेकिन सिर पर गोली लगने से वीरगति प्राप्त की। 

    📌 परमवीर चक्र : उनकी इस अमित बहादुरी और नेतृत्व के लिए उन्हें मृत्यु के पश्चात् सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र प्रदान किया गया। 


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✅ परमवीर चक्र विजेता की वीर गाथा का महत्व 

कैप्टन मनोज पांडे ने न सिर्फ वर्दी पहनने वाले सैनिक को बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र को यह संदेश दिया कि कर्तव्य और समर्पण में जीवन की कीमत से ज़्यादा मूल्य है। कुछ विशेष बातें :

    🚺 उनका आत्म-विश्वास और साहस, जब वे ज़ख्मी हालात में भी आगे बढ़े, प्रेरणादायक है।

    🚺 उनका नेतृत्व, बजाय पीछे हटने के, साथी सैनिकों को प्रेरित करता हुआ आगे बढ़ा।

    🚺 उनकी बहादुरी ने रणनीतिक दृष्टि से कलुबार टॉप को वापस भारतीय नियंत्रण में लाने में निर्णायक भूमिका निभाई।


✅ गोरखा कमांडो की वीरगति तिथि एवं उम्र    

  • वीरगति तिथि : 3 जुलाई 1999 

  • वीरगति के समय कैप्टन मनोज पांडेय की उम्र लगभग 24 वर्ष थी। 


✅ कारगिल युद्ध के परमवीर चक्र विजेता के विरासत और सम्मान  

     📌 नामकरण : उनके नाम पर कई संस्थानों, भवनों, स्कूलों, ब्लॉकों को नामित किया गया है, जैसे कि यूपी सैनिक स्कूल लखनऊ का मुख्य गेट और असेंब्ली हाल, NDA का विज्ञान ब्लॉक आदि। 
    
    📌 स्मारक स्थान : National War Memorial (Param Yodha Sthal) में उनकी प्रतिमा है। 

    📌 सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व : फिल्म “LOC: Kargil” में उन्हें चित्रित किया गया है। 

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✅ प्रेरणा का स्रोत बने गोरखा कमांडो कैप्टन मनोज पांडेय  

उनकी कहानी न सिर्फ़ सेना में भर्ती होने वाले युवाओं के लिए बल्कि हर नागरिक के लिए मिसाल है :

    🚺 देशभक्ति की भावना जगाती है – किस तरह किसी व्यक्ति ने अपनी ज़्यादातर ज़िंदगी सेवा और समर्पण में गुज़ार दी।

    🚺 यह सिखाती है कि परिस्थिति चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो, साहस और नैतिक दृढ़ता से काम लिया जाए तो असंभव को संभव बनाया जा सकता है।

    🚺 उनके आदर्श हमें यह याद दिलाते हैं कि वीरता की कीमत सिर्फ़ पुरस्कार नहीं बल्कि याद, सम्मान और इतिहास है।


✅ निष्कर्ष :- कैप्टन मनोज कुमार पांडे की गाथा हमारे लिए यह संदेश लेकर आती है कि सच्चा बलिदान वही है जिसमें व्यक्ति अपने व्यक्तिगत स्वार्थ भूल कर राष्ट्र की सेवा करता है। उनकी बहादुरी, उनकी जिजीविषा — “परमवीर चक्र” जीतने की — आज भी हमें प्रेरित करती है कि हम भी अपने-अपने क्षेत्र में इमानदारी, साहस और कर्तव्य का निर्वाह करें।


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रविवार, 14 सितंबर 2025

Latest ECHS rules and regulations #ईसीएचएस उपचार सीमा में बड़ा बदलाव २०२५ #Ex servicemen contributory health scheme

Latest ECHS rules and regulations के अनुसार ईसीएचएस उपचार सीमा में बड़ा बदलाव #ECHS गैर-सूचीबद्ध अस्पतालों (Non-Empanelled Hospitals) में इलाज हेतु Prior Sanction नीति 2025 क्या है, कैसे पाएं ? और जरूरी बातें...🌹 


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परिचय :- हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाएं अच्छी हो और सभी का समय पर सही ईलाज हो यह सुनिश्चित करने के लिए ECHS (Ex servicemen contributory health scheme) पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने की एक महत्वपूर्ण योजना है। 13 अगस्त 2025 को जारी नई नीति के अनुसार, अब गैर-सूचीबद्ध (Non-Empanelled) अस्पतालों में कुछ विशेष उपचार और सर्जरी के लिए Prior Sanction (पूर्व अनुमति) लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इस कदम का उद्देश्य लाभार्थियों की सुविधा बढ़ाना और अनावश्यक देरी को कम करना है।


1. ECHS क्या है ? 

    👉 ECHS Means (Ex servicemen contributory health scheme) होता है

    👉 पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था।

    👉 अस्पतालों और डायग्नोस्टिक केन्द्रों का “empanelment” होता है, जिससे इलाज आसान और किफायती होता है।


2. Non-Empanelled Hospital क्या है ? 

  • वे अस्पताल जो ECHS द्वारा सूचीबद्ध (empanelled) नहीं हैं।

  • ऐसे अस्पतालों में इलाज पर prior sanction की ज़रूरत पड़ती है, सिवाय आपातकालीन स्थिति के।


ECHS rules and regulations पॉलिसी 2025 के तहत ईसीएचएस उपचार सीमा और नियम  

अगर आप या आपके परिवार में कोई पूर्व सैनिक हैं, तो Ex servicemen contributory health scheme (ECHS) आपके लिए एक बहुत महत्वपूर्ण योजना है। यह स्कीम पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल प्रदान करती है। हाल ही में, इस पॉलिसी में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं ताकि लाभार्थियों को और भी सुविधा मिल सके।


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ECHS rules and regulations में प्रमुख बदलाव क्या हैं ? 

  1. गैर-सूचीबद्ध अस्पतालों में इलाज के लिए मंजूरी : पहले, गैर-सूचीबद्ध अस्पतालों में कुछ गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए मंजूरी केवल Managing Director (MD), ECHS द्वारा दी जाती थी, जिसमें काफी समय लगता था। अब, इस प्रक्रिया को आसान बना दिया गया है।

    • Major cardiac surgery (मेजर कार्डियक सर्जरी)

    • Oncology (कैंसर का इलाज)

    • Organ transplant cases (अंग प्रत्यारोपण केस में यकृत प्रत्यारोपण, हृदय प्रत्यारोपण और फेफड़ा प्रत्यारोपण को छोड़कर)

    • Joint Replacement cases (जॉइंट रिप्लेसमेंट केस)

    • Major Neurosurgical/Neurology cases (मेजर न्यूरोसर्जरी / न्यूरोलॉजी केस)

    • Bariatric surgery cases (बैरिएट्रिक सर्जरी)


    📌 इन बीमारियों के लिए अब ECHS Regional Centre (RC) के डायरेक्टर द्वारा भी मंजूरी दी जा सकती है। इससे मंजूरी प्रक्रिया में लगने वाला समय कम हो जाएगा और लाभार्थियों को असुविधा नहीं होगी।  

    
MD, ECHS की मंजूरी आवश्यक : 

    कुछ विशेष और गंभीर प्रक्रियाओं के लिए MD, ECHS की मंजूरी अभी भी आवश्यक है, जिनमें शामिल हैं :-

    🚺 अंग प्रत्यारोपण में लिवर ट्रांसप्लांट (यकृत प्रत्यारोपण), हार्ट ट्रांसप्लांट (हृदय प्रत्यारोपण) और लंग ट्रांसप्लांट (फेफड़ा प्रत्यारोपण) 
    
    🚺 बांझपन (Infertility) का इलाज

    🚺 ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) वाले व्यक्तियों के लिए ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी और Applied Behaviour Analysis (ABA) जैसी थेरेपी।


Ex servicemen contributory health scheme के लाभार्थियों के लिए फायदे  

  1. समय की बचत – अब सभी मामलों में दिल्ली स्थित MD ECHS से स्वीकृति का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

  2. तेज़ प्रक्रिया – क्षेत्रीय केंद्र (ECHS Regional Centre) से अनुमति लेने की वजह से इलाज शीघ्र शुरू हो सकेगा।

  3. कम असुविधापूर्व सैनिकों (ex-servicemen) और उनके परिवारों को लंबे समय तक प्रशासनिक चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।

  4. व्यापक कवरेज – सूचीबद्ध और असूचीबद्ध दोनों तरह की बीमारियों के लिए स्पष्ट गाइडलाइन।


ईसीएचएस उपचार सीमा नीति की अतिरिक्त जानकारी : 

  • Ex servicemen contributory health scheme के तहत, लाभार्थी ECHS polyclinic hospital, सेना के अस्पतालों, ECHS Hospital और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में कैशलेस इलाज का लाभ उठा सकते हैं।

  • पॉलिसी से जुड़ी सभी जानकारी के लिए ECHS website https://www.echs.gov.in/ पर जाना सबसे अच्छा है।

  • हाल के अपडेट्स में मोबाइल नंबर अपडेट करना, पैरेंट पॉलिक्लिनिक बदलना और रेफरल प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है।


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निष्कर्ष :- 13 अगस्त 2025 को जारी Ex servicemen contributory health scheme (ECHS) Prior Sanction Policy पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी आर्थिक मदद है। अब अधिकांश महंगे उपचार और सर्जरी के लिए क्षेत्रीय केंद्र स्तर पर अनुमति मिल सकेगी, जिससे समय बचेगा और लाभार्थियों को सुविधा होगी। केवल कुछ जटिल मामलों जैसे यकृत प्रत्यारोपणहृदय प्रत्यारोपण और फेफड़ा प्रत्यारोपण या विशेष थैरेपी के लिए ही अब भी MD ECHS की स्वीकृति आवश्यक रहेगी।

यह ईसीएचएस उपचार सीमा नीति पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है


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शुक्रवार, 12 सितंबर 2025

Kumaon Regiment Centre Ranikhet #कुमाऊं रेजिमेंट और नागा रेजिमेंट की डीएससी भर्ती 2025 #Latest update DSC Bharti in KRC

पूरी जानकारी यहाँ से जानें, Kumaon Regiment Centre Ranikhet में कुमाऊं रेजिमेंट और नागा रेजिमेंट की डीएससी भर्ती 2025 : पूर्व सैनिकों के लिए सुनहरा अवसर...


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परिचय :- भारतीय सेना से सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए एक बार फिर से सुनहरा अवसर आया है। कुमाऊँ रेजिमेंट और नागा रेजिमेंट के पूर्व सैनिकों के लिए अक्टूबर 2025 में डीएससी भर्ती (Defence Security Corps Recruitment 2025) आयोजित की जा रही है। यह भर्ती उन सैनिकों के लिए है जो सेना से रिटायरमेंट के बाद भी देश की सेवा करना चाहते हैं।

डीएससी भर्ती की महत्वपूर्ण तिथियाँ  

  • दस्तावेज़ों की जांच : 13 अक्टूबर 2025 (प्रातः 08:30 बजे)

  • प्रारंभिक स्क्रीनिंग व शारीरिक मापदंड : 14 – 15 अक्टूबर 2025 (प्रातः 06:00 बजे)

  • भर्ती स्थान : कुमाऊँ रेजिमेंट सेंटर, रानीखेत (उत्तराखंड)


पात्रता शर्तें (Eligibility Criteria for DSC Bharti) 

1. सिपाही (General Duty) 

  • जिन सैनिकों की सेवानिवृत्ति 31 अक्टूबर 2023 से 30 सितम्बर 2025 के बीच हुई है।

  • आयु सीमा : अधिकतम 46 वर्ष

  • मेडिकल कैटेगरी : श्रेणी – 1 (Shape-1)।

  • सेवा निवृत्ति के बाद अधिकतम 02 वर्ष का ही गैप मान्य होगा।


2. सिपाही क्लर्क (GD Clerk) 

  • जिन सैनिकों की सेवानिवृत्ति 31 अक्टूबर 2020 से 30 सितम्बर 2025 के बीच हुई है।

  • आयु सीमा : अधिकतम 48 वर्ष

  • मेडिकल कैटेगरी : श्रेणी – 1

  • सेवा निवृत्ति के बाद अधिकतम 05 वर्ष का ही गैप मान्य होगा।


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डीएससी भर्ती 2025 के लिए आवश्यक दस्तावेज़ 

भर्ती में शामिल होने वाले सभी अभ्यर्थियों को Kumaon Regiment Centre Ranikhet में निम्न दस्तावेज़ साथ लाना अनिवार्य होगा :

  1. डिस्चार्ज बुक की मूल प्रति।

  2. एजीआई इंश्योरेंस सर्टिफिकेट (extended army group insurance certificate) की मूल प्रति।

  3. शैक्षणिक प्रमाण पत्र (10वीं/12वीं) की मूल प्रति।

  4. 16 पासपोर्ट साइज फोटो (कंप्यूटर फोटो मान्य नहीं होंगे)।

  5. Ex TA Personnel : Annual Training Camp Attendance तथा Embodied/ Disembodied Service का प्रमाण पत्र।


डीएससी भर्ती प्रक्रिया 

Kumaon Regiment Centre Ranikhet में डीएससी भर्ती में शामिल होने वाले पूर्व सैनिकों को निम्न चरण पूरे करने होंगे :

  • दस्तावेज़ सत्यापन

  • शारीरिक मापदंड की जांच

  • मेडिकल परीक्षा

  • अंतिम मेरिट लिस्ट

KRC Ranikhet में डीएससी भर्ती क्यों है खास ? 

  • रिटायरमेंट के बाद भी सैनिकों को देश सेवा का मौका।

  • सुरक्षित और स्थिर नौकरी।

  • पेंशन के साथ अतिरिक्त आय।

  • सेना के अनुशासन और गौरव को आगे बढ़ाने का अवसर।


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निष्कर्ष :- यदि आप कुमाऊँ रेजिमेंट या नागा रेजिमेंट से सेवानिवृत्त सैनिक हैं, तो डीएससी भर्ती 2025 आपके लिए एक बेहतरीन अवसर है। यह न केवल आपको आर्थिक रूप से मजबूती देगा बल्कि आपको फिर से वर्दी पहनकर देश सेवा का गर्व महसूस करने का मौका भी देगा।

👉 सभी इच्छुक पूर्व सैनिकों से निवेदन है कि समय पर अपने दस्तावेज़ पूरे करके भर्ती स्थल पर अवश्य पहुँचे।


डीएससी भर्ती के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 


1. डीएससी भर्ती 2025 कब और कहाँ होगी ? 

उत्तर : डीएससी भर्ती 13 से 15 अक्टूबर 2025 तक कुमाऊँ रेजिमेंट सेंटर, रानीखेत (उत्तराखंड) में आयोजित होगी।


2. डीएससी भर्ती 2025 में कौन भाग ले सकता है ? 

उत्तर : केवल पूर्व सैनिक (Ex-servicemen) जो कुमाऊँ रेजिमेंट और नागा रेजिमेंट से सेवानिवृत्त हैं, डीएससी भर्ती में भाग ले सकते हैं।


3. KRC Ranikhet में DSC Bharti के लिए आयु सीमा क्या है ? 

उत्तर :

  • सिपाही जनरल ड्यूटी (GD) – अधिकतम 46 वर्ष।

  • सिपाही क्लर्क – अधिकतम 48 वर्ष।


4. मेडिकल मानक DSC Bharti के लिए क्या होना चाहिए ? 

उत्तर : सभी अभ्यर्थी श्रेणी Shape-1 में होने चाहिए।


5. डीएससी भर्ती के लिए किन दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी ? 

उत्तर : डिस्चार्ज बुकएजीआई इंश्योरेंस सर्टिफिकेट (extended army group insurance certificate) की मूल प्रति, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, 16 पासपोर्ट साइज फोटो और TA कर्मियों के लिए Annual Training Camp Attendance प्रमाण पत्र।


6. डीएससी भर्ती में शामिल होने का क्या फायदा है ? 

उत्तर : रिटायरमेंट के बाद सैनिकों को अतिरिक्त नौकरी, स्थिर आय और देश सेवा का अवसर मिलता है।


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मंगलवार, 9 सितंबर 2025

परमवीर चक्र विजेता 🇮🇳 कैप्टन विक्रम बत्रा की जयंती #The Kargil War #Param Vir Chakra Vijeta Captain Vikram Batra का शौर्य और बलिदान

🇮🇳 जानें, कारगिल  युद्ध के शेर : कैप्टन विक्रम बत्रा का देश के लिए बलिदान  : शौर्य और बलिदान के अमर नायक परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा की जयंती...🌹 


परमवीर चक्र विजेता #Param Vir Chakra Vijeta Captain Vikram Batra #कैप्टन विक्रम बत्रा #The Kargil War
(Kargil War Memorial with Tololing Ranges)

परिचय :- भारत माता के वीर सपूत, कैप्टन विक्रम बत्रा (Param Vir Chakra Vijeta) का नाम इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। सन् 1999 कारगिल युद्ध के दौरान उनके अदम्य साहस और बलिदान ने उन्हें "शेरशाह" की उपाधि दिलाई। हर साल उनकी जयंती देशवासियों के लिए वीरता, देशभक्ति और बलिदान की प्रेरणा लेकर आती है।

परमवीर चक्र विजेता, कैप्टन विक्रम बत्रा जी का प्रारंभिक जीवन  

कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था। उनके पिता जी.एस. बत्रा स्कूल प्रिंसिपल और मां कमलकांता बत्रा अध्यापिका थीं। बचपन से ही उनमें देश सेवा की भावना थी।

    📌 उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पालमपुर से प्राप्त की।

    📌 चंडीगढ़ के DAV कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की।

    📌 एन.सी.सी. (NCC) में शामिल होकर उन्होंने सैन्य जीवन की दिशा तय की।


 🇮🇳 कैप्टन विक्रम बत्रा का भारतीय सेना में योगदान  

कैप्टन विक्रम बत्रा ने 1996 में भारतीय सेना की जम्मू-कश्मीर राइफल्स (13 JAK Rifles) में कमीशन प्राप्त किया।

    📌 प्रशिक्षण के दौरान ही उनके साहस और नेतृत्व की झलक देखने को मिली।

    📌 उन्हें "जेंटलमैन कैडेट" के रूप में विशेष सम्मान मिला।

    📌 वे सदैव अपने साथियों को प्रेरित करते और कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उत्साह बनाए रखते थे।


परमवीर चक्र विजेता #Param Vir Chakra Vijeta Captain Vikram Batra #कैप्टन विक्रम बत्रा #The Kargil War
(कैप्टन विक्रम बत्रा, परमवीर चक्र विजेता)


कारगिल युद्ध के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा का सर्वोच्च बलिदान  

कैप्टन विक्रम बत्रा ने केवल 24 साल की उम्र में देश के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए, उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान, परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनकी शहादत ने यह साबित कर दिया कि एक सैनिक के लिए देश से बढ़कर कुछ नहीं होता।

     कैप्टन विक्रम बत्रा का जीवन हमें सिखाता है कि कुछ भी असंभव नहीं है, अगर हमारे इरादे मजबूत हों। उनका बलिदान न केवल हमारे लिए एक प्रेरणा है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि हमारी स्वतंत्रता और सुरक्षा के पीछे ऐसे ही अनगिनत वीरों का बलिदान है।

कारगिल युद्ध के हीरो का कोडवर्ड "ये दिल मांगे मोर" 

1999 में, जब कारगिल युद्ध शुरू हुआ, तब कैप्टन विक्रम बत्रा को प्वाइंट 5140 पर कब्ज़ा करने की जिम्मेदारी दी गई। यह एक बेहद मुश्किल मिशन था। इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, उन्होंने गर्व से अपना कोडवर्ड "विक्टर" से बदलकर "ये दिल मांगे मोर" कर दिया। यह वाक्य आज भी उनके अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।

     अगला मिशन था प्वाइंट 4875, जो बेहद रणनीतिक और खतरनाक जगह थी। कैप्टन विक्रम बत्रा ने इस मिशन का नेतृत्व किया, लेकिन इस दौरान एक साथी जवान घायल हो गया। जब वह उसे बचाने के लिए आगे बढ़े, तो दुश्मन की गोली से शहीद हो गए। उनकी आखिरी शब्द थे, "जय माता दी"


परमवीर चक्र विजेता #Param Vir Chakra Vijeta Captain Vikram Batra #कैप्टन विक्रम बत्रा #The Kargil War
(President K. R. Narayanan presenting the Param Vir Chakra (posthumous) to the father of Captain Vikram Batra, 13 Jammu and Kashmir Rifles)


कारगिल युद्ध और "शेरशाह" का शौर्य  

1999 के कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा की भूमिका निर्णायक रही।

प्वाइंट 5140 पर विजय  

    📌 दुश्मन के कब्जे से इस ऊँचाई को छुड़ाने का जिम्मा Param Vir Chakra Vijeta Captain Vikram Batra और उनकी टीम को मिला।

    📌 उन्होंने नारे दिए – "ये दिल मांगे मोर", जो आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता है।

    📌 प्वाइंट 5140 को आज़ाद कर उन्होंने इतिहास रच दिया।
    
    📌 बेहद भीषण लड़ाई में उन्होंने अद्वितीय साहस दिखाया।

    📌 इसी अभियान के दौरान वे शहीद हो गए, लेकिन विजय भारत की झोली में डाल गए।


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(Bust of Captain Vikram Batra at the 
National War Memorial, Pune)


कारगिल युद्ध के  हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा का सम्मान और पहचान  

कैप्टन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत परमवीर चक्र (PVC) से सम्मानित किया गया।

    📌 कारगिल युद्ध के सबसे बड़े नायकों में उनका नाम लिया जाता है।

    📌 उन्हें "शेरशाह ऑफ कारगिल" कहा जाता है।

    📌 उनके नाम पर विद्यालय, संस्थान और सड़कें आज भी उनकी वीरता की याद दिलाती हैं।

The Kargil War प्रेरणा और विरासत  

कैप्टन विक्रम बत्रा का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।

    📌 उनका नारा "ये दिल मांगे मोर" आज भी देशभक्ति का प्रतीक है।

    📌 उनके बलिदान ने यह सिद्ध किया कि भारतीय सेना किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम है।

    📌 आज भी लाखों युवा उन्हें आदर्श मानकर सेना में शामिल होने का सपना देखते हैं।


परमवीर चक्र विजेता, कैप्टन विक्रम बत्रा जयंती पर विशेष संदेश  

हर साल 9 सितंबर को कैप्टन विक्रम बत्रा की जयंती हमें याद दिलाती है कि देश की आज़ादी और सुरक्षा हमारे वीर सैनिकों के बलिदान से ही संभव है। इस दिन हमें न केवल उनके शौर्य को याद करना चाहिए, बल्कि उनके आदर्शों को जीवन में अपनाना भी चाहिए।


परमवीर चक्र विजेता #Param Vir Chakra Vijeta Captain Vikram Batra #कैप्टन विक्रम बत्रा #The Kargil War
(The town of Dras, the second coldest inhabited place in the world)

निष्कर्ष :- कैप्टन विक्रम बत्रा का जीवन साहस, नेतृत्व और बलिदान का अनुपम उदाहरण है। उनकी जयंती पर हम सभी उन्हें नमन करते हैं और वचन लेते हैं कि उनकी शहादत को सदैव याद रखेंगे।

आइए, उनके जन्मदिन पर हम सब मिलकर इस महान नायक को श्रद्धांजलि अर्पित करें और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लें।

कैप्टन विक्रम बत्रा अमर रहें, भारत माता की जय


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