सोमवार, 9 जून 2025

भारतीय सैन्य वीर योद्धाओं के लिए खास "आर्मी बैंड" #रणबांकुरों का बढ़ाता है हौसला #Importance of Military Band

भारतीय सैन्य वीर योद्धाओं के लिए खास है "आर्मी बैंड", रणबांकुरों का बढ़ाता है हौंसला ...🌹


"🇮🇳🌹सैन्य बैंड की धुनें हमेशा जोश और देशभक्ति का माहौल पैदा करती हैं।🌹 🇮🇳"


भारतीय सेना में 50 से ज्यादा सैन्य पीतल के बैंड, 400 पाइप बैंड और ढोल के सैन्य दल शामिल हैं। सामान्य तौर पर एक आर्मी बैंड में एक बैंड और मास्टर 33 संगीतकार होते हैं। उधर पाइप बैंड में भी एक बैंड मास्टर और 17 संगीतकार होते हैं।

जिस तरह सेना के जवान में अनुशासन की जरूरत होती है, उसी तरह अनुशासित बैंड ही नौजवान सैन्य अफसर को जिम्मेदारियों में बांधे रख सकता है। इसलिए आर्मी बैंड में मौजूद हर शख्स की जिम्मेदारी एक समान, लेकिन बेहद बड़ी होती है। सेना में मार्शल ट्यून और आर्मी बैंड की धुनें हमेशा से सामाजिक और सेना के कार्यक्रमों की शोभा बढ़ाते रहे हैं।  




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"हालांकि युद्ध और संगीत यूं तो एक दूसरे के विपरीत बातें हैं, लेकिन जो संगीत एक तरफ रूह को सुकून देता है। वहीं, जंग के मैदान में दुश्मन के खिलाफ जवानों में सब कुछ कर गुजरने के भाव भी भर देता है। युद्ध के मैदान में बजने वाला संगीत जवानों में अपने वतन के लिए प्रेम और मर-मिटने का जज्बा पैदा करता है। भारतीय सेना का आर्मी बैंड भारतीय सैन्य वीर योद्धाओं की सलामी और स्वागत के लिए हमेशा तैयार रहता है।"



👉भारतीय बैंड ट्रेनिनीज का हौंसला नहीं डगमगाने देता...🌹



✅देश एवं परिवार के प्रति फौजी फ़ौजन का त्याग और समर्पण...🌹 

"तू शेर ए हिंद आगे चल, मरने से तू कभी न डर..." ये धुन ही है जो जेंटलमैन कैडेट का हौसला बुलंद करती है। यही पंक्तियां जेंटलमैन कैडेट्स को बतौर सैन्य अधिकारी जीवन भर याद रहती हैं। यही नहीं इन युवा जांबाज को यही संगीत अपने लक्ष्य से डगमगाने नहीं देता। सेना में आर्मी बैंड का एक खास मकसद भी है और महत्व भी। यही वजह है कि दुनियाभर में सभी सेनाओं का अपना एक आर्मी बैंड जरूर होता है।"



👉भारतीय आर्मी बैंड की धुनें बढ़ाती हैं, कार्यक्रमों की शोभा....🌹



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"जिस तरह एक सेना के जवान में अनुशासन की जरूरत होती है, उसी तरह अनुशासित बैंड ही नौजवान सैन्य अफसर को बांधे रख सकता है। इसलिए आर्मी बैंड में मौजूद हर शख्स की जिम्मेदारी एक समान लेकिन बेहद बड़ी होती है। सेना में मार्शल ट्यून और आर्मी बैंड की धुनें हमेशा से सामाजिक और सेना के कार्यक्रमों की शोभा बढ़ाते रहे हैं।"



👉भारतीय सेना में 50 से ज्यादा सैन्य पीतल बैंड हैं शामिल...🌹



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"भारतीय सेना में 50 से ज्यादा सैन्य पीतल के बैंड, 400 पाइप बैंड और ढोल के सैन्य दल शामिल हैं। सामान्य तौर पर एक आर्मी बैंड में एक बैंड मास्टर और 33 संगीतकार होते हैं। पाइप बैंड में भी एक बैंड मास्टर और 17 संगीतकार होते हैं। आर्मी बैंड में मौजूद वाद्ययंत्रों के महारथी सेना की विभिन्न गतिविधियों में उसी तरह की धुन देते हैं। इसमें सेना के गीतों से जुड़ी धुन, साहस भरने, गर्व पैदा करने जैसी धुनों को शामिल किया जाता है।"



👉ट्रेनिंग के दौरान आर्मी बैंड से जेंटलमैन कैडेट को करवाया जाता है रूबरू...🌹



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"फ्रेंच हॉर्न, बैगपाइपर, क्लेरिनेट समेत सेना के पास 50 मिलिट्री बैंड, 400 से ज्यादा पाइप बैंड और ड्रम हैं. जिनकी धुनें एक नया जोश और देशभक्ति का माहौल पैदा करती हैं। आर्मी बैंड में बकायदा शर्तों के साथ पांच साल का कोर्स किए हुए लोगों का ही "सलेक्शन किया जाता है। सबसे खास बात यह है कि इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) में सेना के इन बैंड से सैन्य अफसर बनने वाले जेंटलमैन कैडेट्स को भी रूबरू करवाया जाता है।"



👉भारतीय मिलिट्री बैंड का इतिहास...🌹



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"भारतीय सेना में मिलिट्री बैंड को ब्रिटिश मिलिट्री बैंड के इतिहास से जोड़ा जाता है। 17वीं शताब्दी यानी करीब 300 साल पुराने इतिहास से जुड़े मिलिट्री बैंड को आजादी के बाद 1950 में मध्य प्रदेश के पंचमढ़ी में मिलिट्री स्कूल ऑफ म्यूजिक संस्थान के जरिये नया स्वरूप देने की शुरुआत हुई। कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा द्वारा की गई इस शुरुआत के साथ ही भारतीय धुनों पर आधारित हिंदुस्तानी मिलिट्री बैंड को आकार मिला। भारतीय सेना में आर्मी बैंड चार रूपों में देखे जाते हैं। इसमें टॉप बैंड आर्मी, एयरफोर्स, नेवी और पैरामिलिट्री बैंड्स हैं। इसी तरह आर्मी बैंड में सैन्य बैंड, पाइप बैंड और ड्रम बैंड शामिल है। आर्मी द्वारा बजाई जाने वाली धुनें लोकगीतों और विभिन्न कथाओं पर आधारित होती हैं।"



👉युद्ध के दौरान मोर्चे पर भी डटते हैं आर्मी बैंड वाले जवान...🌹



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"भारतीय सेना में वाद्य यंत्रों के साथ आर्मी बैंड को विशेष रूप से तैयार किया गया है। इसमें मौजूद संगीतकारों की भी रैंक तय की जाती है। लेकिन खास बात यह है कि युद्ध जैसे मुश्किल हालातों में आर्मी बैंड के जवान दोहरे मोर्चे पर काम करते हैं। एक तरफ आर्मी बैंड सैन्य अधिकारियों और युद्ध पर जाने वाले जवानों का बैंड की धुनों से हौसला बढ़ता हैं। वहीं, दूसरी तरफ इसी बैंड के संगीतकार युद्ध में घायल होने वाले जवानों को दवाई देने और घायल जवानों को सुरक्षित वापस लाने का भी काम करते हैं। इसके लिए बकायदा इन संगीतकारों को प्रशिक्षण और जानकारी भी दी जाती है।"



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"ट्रेनिंग पूरी होने के बाद पासिंग आउट परेड की तैयारियां जोरों-शोरों से चलती हैं। जेंटलमैन कैडेट्स और इंस्ट्रक्टर पी.ओ.पी. के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहाते हैं। वहीं, कुछ ऐसे भी लोग हैं जो पासिंग आउट परेड को ऐतिहासिक बनाने की हर संभव कोशिश में लगे हुए होते हैं। भारतीय सेना का आर्मी बैंड उन्हीं में से एक है। आर्मी बैंड केवल एक धुन, संगीत तक सीमित नहीं है, ये सेना की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। सेना में पहला कदम रखने से लेकर शहादत की गौरवमयी बेला पर आर्मी बैंड ही होता है जो एक जवान के साथ होता है।"


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Request:- अगर आप लोगों को इस प्रकार की जानकारी फायदेमंद लगती हो तो कृपया यहां से आप अपने मोबाइल स्क्रीन को डेस्कटॉप साईट पर रखने के लिए दाएं ऊपर तीन बिन्दुओं : पर क्लिक करके Desktop Site पर क्लिक करें और उसके बाद आपके बाएं तरफ सबसे ऊपर Follow के ऑप्शन को क्लिक कर दें ताकि समय समय पर आपको वेलफेयर सम्बंधित latest जानकारी मिलती रहे। 

🙏🇮🇳जय हिन्द🇮🇳🙏 

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रविवार, 8 जून 2025

KRC रानीखेत का दौरा #उत्तराखण्ड के राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) का भ्रमण #Governor of Uttarakhand visited KRC Ranikhet

कुमाऊं रेजीमेंट केंद्र रानीखेत में उत्तराखण्ड के राज्यपाल ने भ्रमण के दौरान कहा ...

"राष्ट्र सेवा और हित के लिए सेना सबसे उचित माध्यम"


के.आर.सी. रानीखेत पहुंचे राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त)...🌹


उत्तराखण्ड के राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने गुरुवार दिनांक ०५ जून २०२५ को ऐतिहासिक कुमाऊं रेजिमेंट केंद्र का भ्रमण कर केंद्र के गौरवशाली इतिहास की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने आर्मी के जवानों के साथ संवाद किया। उन्होंने अग्निवीरों का हौंसलाअफजाई किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र सेवा और हित के लिए सेना उचित माध्यम है। अग्निवीरों ने सेना का रास्ता चुनकर बड़ा निर्णय लिया है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने गुरुवार को रानीखेत का भ्रमण किया। इस दौरान वह ऐतिहासिक कुमाऊं रेजिमेंट केंद्र पहुंचे। यहां वीर जांबाजों के इतिहास से रूबरू हुए। सैन्य अधिकारियों ने राज्यपाल को केंद्र में संचालित वर्तमान गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।



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के.आर.सी. कमांडेंट ब्रिगेडियर एस.के. यादव ने केंद्र की योजनाओं के बारे में जानकारी दी। राज्यपाल ने कहा कि कुमाऊं रेजीमेंट केंद्र का इतिहास गौरवशाली है।


सैनिकों को ए.आई. तकनीक में भी किया जाए दक्ष : राज्यपाल


राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने रानीखेत स्थित कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर (के.आर.सी.) के आउटरीच प्रोग्राम की सराहना की। उन्होंने सैनिकों और उनके परिवारों के लिए कौशल विकास, दस्तावेजों के डिजिटलीकरण आदि पहल को अच्छा बताया। राज्यपाल ने सैनिकों को ए.आई. (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित कार्यक्रमों के माध्यम से सैनिकों को दक्ष करने और पूर्व सैनिकों के परिवारों के लिए होम स्टे और मौन पालन सहित अन्य रोजगार परख योजनाएं चलाने का सुझाव भी दिया।


के.आर.सी. के भ्रमण पर पहुंचे राज्यपाल गुरमीत सिंह ने अधिकारियों, जवानों और प्रशिक्षु अग्निवीरों से बातचीत किया :-



पूर्व सैनिकों की दूसरी पारी की शुरुआत के लिए AWPO की भूमिका...

राज्यपाल महोदय ने कहा कि कुमाऊं रेजिमेंट का गौरवशाली इतिहास रहा है। यह थलसेना की सबसे बड़ी इंफैंट्री रेजिमेंटों में से एक है। इस रेजिमेंट की सुदृढ़ प्रशिक्षण परंपरा एवं अनुशासनात्मक संस्कृति भी विश्वस्तर पर प्रतिष्ठित है। कमांडेंट ब्रिगेडियर संजय कुमार यादव ने प्रस्तुतीकरण के जरिये केंद्र की गतिविधियों और भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी। इससे पहले रानीखेत पहुंचने पर डी.एम. आलोक कुमार पांडेय, एस.एस.पी. देवेंद्र पींचा समेत के.आर.सी. के अधिकारियों ने पुष्पगुच्छ भेंटकर राज्यपाल का स्वागत किया।


सैनिकों को फिट रखने के लिए खेलों का बड़ा योगदान... 🌹



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राज्यपाल महोदय ने आर्चरी, बॉक्सिंग और ताइक्वांडो जैसे खेलों के प्रशिक्षण को अनुकरणीय बताया। उन्होंने कहा कि सैनिकों को मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रखने के लिए खेलों का बड़ा योगदान है। बाद में राज्यपाल सपरिवार प्रसिद्ध रानीखेत के प्रसिद्ध झूला देवी मंदिर पहुंचे। यहां पूजा-अर्चना कर प्रदेश की शांति, समृद्धि और विकास की कामना की। वहां संयुक्त मजिस्ट्रेट रानीखेत राहुल आनंद, ए.एस.पी. हरबंश सिंह आदि थे।


कार्यक्रम के दौरान वीर नारियों को मिला सम्मान...🙏



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उत्तराखण्ड के राज्यपाल ने रेजिमेंट केंद्र में आयोजित कार्यक्रम के बीच वीर नारियों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि देश की रक्षा में शहीदों के साथ उनके परिवारों का योगदान भी अतुलनीय है।


राज्यपाल ने किया वुलन केंद्र का निरीक्षण... 🏭



फौजी पत्नियों का परिवार और देश के प्रति त्याग...🌹🙏

भ्रमण के तहत राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने वुलन केंद्र का निरीक्षण किया। यहां पूर्व सैनिकों की आश्रित महिलाएं हस्तनिर्मित शॉल और जैकेट तैयार कर रही थीं। उन्होंने कहा कि यह न केवल आत्मनिर्भरता की मिसाल है, बल्कि पारंपरिक कौशल के संरक्षण का उत्तम उदाहरण है।


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शनिवार, 7 जून 2025

भारतीय सेना में बड़ा बदलाव #पहले कमांड सूबेदार मेजर की नियुक्ति #Command Subedar Major

भारतीय सेना के प्रथम कमांड सूबेदार मेजर बने सूबेदार मेजर ओजित सिंह (उत्तरी कमान )...👍


सूबेदार मेजर ओजित सिंह को भारतीय सेना का पहला कमांड सूबेदार मेजर (Command S.M.) नियुक्त किया गये हैं। यह पद जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स (जे.सी.ओ.) और अन्य रैंक (ओ.आर.) द्वारा बल के विकास में निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका की बढ़ती मान्यता को दर्शाता है। 3 असम रेजिमेंट के कमांड एस.एम. सिंह की नियुक्ति सोमवार दिनांक ०२ जून २०२५ को उधमपुर में उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा द्वारा की गई। यह नया पद सेना प्रमुख (सी.ओ.ए.एस.) के निर्देश के बाद स्थापित किया गया है, जिन्होंने Chief of the Army Staff (सी.ओ.ए.एस.) स्तर सहित सभी सेना कमांडों में सूबेदार मेजर पदों के सृजन का आदेश दिया था। "उत्तरी कमान" भारतीय सेना की सात कमानों में से एक है कहा जाता है कि यह पहल पश्चिमी सेनाओं में इस्तेमाल किए जाने वाले सीनियर सार्जेंट मेजर ढांचे से प्रेरित है। वरिष्ठ सार्जेंट मेजर की तरह, कमांडेंट एस.एम. की भूमिका सेना के वरिष्ठ नेतृत्व और उसके जे.सी.ओ. और ओ.आर. के बीच एक औपचारिक संचार चैनल स्थापित करने के लिए है, जो बल का मूल हिस्सा हैं।


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वरिष्ठ सार्जेंट मेजर (Senior Sergeant Major) की ड्यूटी का मतलब है सेना या पुलिस में एक उच्च पद पर कार्य करना। यह पद सैनिकों को प्रशिक्षित करने, नेतृत्व प्रदान करने और अनुशासन बनाए रखने जैसे कई कार्य करता है। सार्जेंट मेजर एक वरिष्ठ सूचीबद्ध सलाहकार भी होता है, जो कमांडिंग अधिकारी को सलाह देता है और सैनिकों के लिए मार्गदर्शन एवं वकालत करता है।



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वरिष्ठ सार्जेंट मेजर निम्न कर्तव्यों को निभाता है :- कमांड सूबेदार मेजर या वरिष्ठ सार्जेंट मेजर को निम्नलिखित ड्यूटी दी जाती हैं


👉सैनिकों को प्रशिक्षित करना : "कमांड सूबेदार मेजर" सैनिकों को विभिन्न युद्ध कौशल और तकनीकों में प्रशिक्षित करते हैं। वे अनुशासन बनाए रखते हैं और सैनिकों को अपने कर्तव्यों को पूरा करने में मदद करते हैं।


👉नेतृत्व प्रदान करना : "कमांड सूबेदार मेजर" अपने सैनिकों का नेतृत्व करते हैं और उन्हें युद्ध के मैदान में और अन्य स्थितियों में भी निर्देशित करते हैं। वे अपने सैनिकों की रक्षा करते हैं और उनकी भलाई सुनिश्चित करते हैं।


👉प्रशासनिक दक्षता : "कमांड सूबेदार मेजर" प्रशासनिक दक्षता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे सैनिकों और उनके परिवारों से संबंधित सभी मुद्दों को संबोधित करते हैं और सैनिकों के प्रशिक्षण, कल्याण और समग्र भलाई में मदद करते हैं।


👉अनुशासन बनाए रखना : "कमांड सूबेदार मेजर" सेना के नियमों और विनियमों का पालन करते हैं और उन्हें अपने सैनिकों के साथ भी पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वे अनुशासन बनाए रखते हैं और किसी भी अव्यवस्था को रोकने के लिए कदम उठाते हैं।


👉सलाह देना : "कमांड सूबेदार मेजर" कमांडिंग अधिकारी को सलाह देते हैं और उन्हें सेना की योजनाओं और संचालन के बारे में बताते हैं। वे सूचीबद्ध सैनिकों के लिए वकालत करते हैं और उनकी भलाई के लिए काम करते हैं।


👉सैनिकों का कल्याण : "कमांड सूबेदार मेजर" सैनिकों के कल्याण के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। वे सैनिकों और उनके परिवारों से संबंधित सभी मुद्दों को संबोधित करते हैं और सैनिकों के प्रशिक्षण, कल्याण और समग्र भलाई में मदद करते हैं।


👉जमीनी हकीकत का आकलन : "कमांड सूबेदार मेजर" जमीनी हकीकत का आकलन करने के लिए जेसीओ और ओआर के साथ बातचीत करते हैं और अपनी रिपोर्ट सेना के कमांडर को प्रस्तुत करते हैं। वे सेना कमांडर के साथ इकाइयों और संरचनाओं के दौरे के दौरान मौजूद रहते हैं।


👉अन्य कार्य : "कमांड सूबेदार मेजर" कई अन्य कार्यों के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे कि उपकरणों की देखभाल करना, संपत्ति का प्रबंधन करना और रिपोर्टिंग करना। वरिष्ठ सार्जेंट मेजर सेना या पुलिस में एक महत्वपूर्ण पद है, जो कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है। वे सैनिकों को प्रशिक्षित करते हैं, नेतृत्व प्रदान करते हैं, अनुशासन बनाए रखते हैं, सलाह देते हैं और कई अन्य कार्यों को पूरा करते हैं।


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सेना के अनुसार कमांड एस.एम. जे.सी.ओ. और ओ.आर. से संबंधित मामलों में सेना कमांडर को सलाहकार की भूमिका में काम करेंगे। यह सलाहकारी कार्य कर्नल मिलिट्री सेक्रेटरी (कर्नल एम.एस.) के समान है, जो अधिकारी स्तर के मुद्दों का प्रबंधन करता है। उनकी सलाह नीति, मनोबल, प्रशिक्षण मानकों और कर्मियों के कल्याण को जमीनी स्तर से आकार देने में महत्वपूर्ण होगी।

सलाहकार जिम्मेदारियों के अलावा, कमांडेंट एसएम की भूमिका ऑपरेशनल समीक्षा में भी होगी। वह यूनिटों और संरचनाओं के दौरे के दौरान सेना कमांडर के साथ रहेंगे और जमीनी हकीकत का आकलन करने और उन्हें कमांड नेतृत्व तक पहुंचाने के लिए जे.सी.ओ. और ओ.आर. के साथ समर्पित बातचीत करेंगे। बताया गया कि यह भूमिका पूरी तरह सलाहकारी है और इसमें सेना कमांडर के लिए प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ शामिल नहीं हैं। इसके अलावा, कार्यकाल दो साल निर्धारित किया गया है, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। यह बताया कि "यह नियुक्ति पिछले सेना कमांडर की व्यक्तिगत देखरेख में एक कठोर साक्षात्कार प्रक्रिया के बाद हुई। इन्फैंट्री निदेशालय (इन्फ-6) ने सूबेदार मेजर ओजीत सिंह के लिए अंतिम पोस्टिंग ऑर्डर जारी किया, जिन्हें शॉर्टलिस्ट किए गए जे.सी.ओ.के पैनल से चुना गया था।"

सेना के अनुसार, इस नियुक्ति से सेना के शीर्ष अधिकारियों और क्षेत्रीय इकाइयों के बीच, विशेष रूप से उत्तरी कमान के अंतर्गत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में, मजबूत विश्वास और समन्वय को संस्थागत रूप देने की उम्मीद है।



✅"घर में पति-पत्नी के बीच झगड़े में अचानक मेहमान के आने पर, पति-पत्नी द्वारा जो कुछ समय के लिए समझौता किया जाता है। क्या इसे भी "सीजफायर" कहते हैं ?


भारतीय वायु सेना (IAF) में पहले से ही एक समान संरचना मौजूद है, जिसमें मास्टर वारंट ऑफिसर (एम.डब्ल्यू.ओ.) मुख्य रूप से तकनीकी और कार्मिक मामलों में भर्ती कर्मियों और कमीशन प्राप्त अधिकारियों के बीच एक माध्यम के रूप में कार्य करता है। मास्टर वारंट ऑफिसर (एम.डब्ल्यू.ओ.) को स्क्वाड्रन संचालन और प्रबंधन से संबंधित निर्णयों को प्रभावित करने के लिए भी जाना जाता है।

कमांड सूबेदार मेजर भारतीय सेना में एक वरिष्ठ गैर-कमीशन अधिकारी हैं। उनके कर्तव्य व्यापक हैं और वे इकाइयों और संरचनाओं के भीतर अनुशासन, मनोबल और प्रशासनिक दक्षता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे अधिकारियों और अन्य सूचीबद्ध कर्मियों के बीच कड़ी के रूप में काम करते हैं और जमीनी हकीकत का आकलन करने के लिए जेसीओ और ओआर के साथ बातचीत करते हैं, जो उनके अनुभव और नेतृत्व के लिए अत्यधिक सम्मानित हैं।


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गुरुवार, 5 जून 2025

सैनिक परिवारों के लिए निःशुल्क बद्रीनाथ धाम यात्रा #Ex-servicemen#free of Cost

उत्तराखंड सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों, उनकी पत्नियों और युद्ध नायकों के परिजनों के लिए निःशुल्क बद्रीनाथ धाम तीर्थयात्रा की घोषणा...🌹


उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने खटीमा स्थित तराई बीज विकास निगम के मैदान में सेवा संकल्प धारिणी फाउंडेशन द्वारा स्व. सूबेदार शेर सिंह धामी की पाँचवी पुण्यतिथि पर आयोजित “गौरव सैनिक सम्मान समारोह” में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न घोषणाएं भी की। जिसमें पूर्व सैनिक वीरांगनाओं एवं पुत्री को ड्रोन दीदी के रूप में रोजगार परख ड्रोन का प्रशिक्षण देना शामिल है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि 60 वर्ष से अधिक बुजुर्ग एवं पूर्व सैनिक व उनकी पत्नियों तथा पूर्व सैनिकों की वीरांगनाओं और वीर नारियों को निशुल्क बद्री धाम की यात्रा कराई जाएगी। परमवीर चक्र विजेताओं को उत्तराखण्ड सरकार द्वारा ₹1.50 करोड़ की सम्मान राशि दी जाएगी।


इस योजना के लाभार्थी 60 वर्ष से अधिक आयु के पूर्व सैनिक, उनकी पत्नियां तथा 60 वर्ष से अधिक आयु के शहीदों के आश्रित होंगे।


उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने शनिवार को कहा कि उत्तराखंड सरकार 60 वर्ष से अधिक आयु के पूर्व सैनिकों और 60 वर्ष से अधिक आयु के शहीदों के आश्रितों को बद्रीनाथ धाम की निःशुल्क तीर्थयात्रा का अवसर प्रदान करेगी। दरअसल, इससे पहले धामी सरकार ने हाल ही में 22,000 उपनल कर्मचारियों को नियमित करने के लिए ठोस नीति बनाने का फैसला किया था। कर्मचारी लंबे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे थे। इससे उत्साहित कर्मचारियों ने सीएम धामी के लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया।


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इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि पांच वर्ष पूर्व आज का दिन मेरे जीवन का सबसे कष्टप्रद और दुःखद दिन रहा, जब मैंने अपने प्रेरणास्रोत पूज्य पिताजी को खो दिया था।

मैं, जब पूज्य पिताजी को याद करता हूँ, तो आंखें नम हो जाती हैं, लेकिन गर्व भी होता है कि उन्होंने जीवन के जिन मूल्यों की मुझे शिक्षा दी, उन्हीं मूल्यों के सहारे आज मैं, जनसेवा की राह पर चल पा रहा हूँ। उन्होंने कहा कि उनके पिताजी के विचार, उनके सिद्धांत और उनका संघर्षमय जीवन आज भी हर मोड़ पर मेरा मार्गदर्शन करता है। पूज्य पिताजी ने अपना संपूर्ण जीवन बड़ी ही सादगी के साथ जिया, परंतु अपने दृढ़ व्यक्तित्व और सेवा भावना द्वारा हमेशा समाज के लिए कार्य किया। सी.एम. पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा कि उनके पिताजी ने सेना से रिटायरमेंट के बाद क्षेत्र में शिक्षा के प्रसार प्रचार हेतु एक प्राइमरी स्कूल की स्थापना की जहां गरीब और वंचित परिवारों के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती थी। वे हमेशा कहते थे “बेटा, देश सेवा केवल वर्दी पहनकर ही नहीं होती, बल्कि प्रत्येक क्षण अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करना भी एक प्रकार की देश सेवा ही है।" उन्होंने कहा कि पिताजी के इन्हीं शब्दों ने मुझे राजनीति में कदम रखने से पहले ही ये बात सिखा दी थी कि राजनीति कोई बड़ा पद पाने का माध्यम नहीं, बल्कि जनभावनाओं को समझकर उनके दुःख-दर्द में सहभागी बनने और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए स्वयं को पूरी तरह से समर्पित कर देने का नाम है।



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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा कि आज मैं, सेना में तो नहीं हूं परंतु वीर सैनिकों को अपना आदर्श मानकर राष्ट्र सेवा में अपना यथासंभव योगदान सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि एक सैनिक पुत्र होने के नाते, आज मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में हो रहे सकारात्मक बदलावों को देखकर अत्यंत हर्ष का अनुभव होता है।

उन्होंने कहा कि आज भारतीय सेना को प्रत्येक क्षेत्र में सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप आज भारत न केवल अपनी रक्षा जरूरतों में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है, बल्कि विभिन्न देशों को रक्षा सामग्री निर्यात करने में भी नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।


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राज्य सरकार भी सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने जहां एक ओर शहीदों के आश्रितों को मिलने वाली अनुग्रह राशि को ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख किया है, वहीं सेना में परमवीर चक्र से लेकर मेन्सन इन डिस्पैच तक सभी वीरता पुरस्कारों से अंलकृत सैनिकों को दी जाने वाली एकमुश्त तथा वार्षिकी राशि में भी अभूतपूर्व वृद्धि की है। और हमनें बलिदानियों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी में समायोजित करने का भी निर्णय लिया है और सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने की अवधि को भी 2 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष कर दिया है। यही नहीं, हम प्रदेश में बलिदानियों के आश्रितों को नौकरी पूर्व प्रशिक्षण तथा पुत्री विवाह अनुदान जैसी योजनाएँ भी संचालित कर रहे हैं।



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माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य में वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों और पूर्व सैनिकों हेतु सरकारी बसों में यात्रा की निःशुल्क व्यवस्था करने के साथ-साथ सेवारत व पूर्व सैनिकों हेतु ₹25 लाख मूल्य की स्थायी सम्पत्ति की खरीद पर स्टाम्प ड्यूटी में 25 प्रतिशत की छूट भी प्रदान की जा रही है। हमारी सरकार द्वारा प्रदेश के शहीदों की स्मृति में देहरादून के गुनियाल गांव में एक भव्य सैन्य धाम का निर्माण किया जा रहा है, जो उत्तराखण्ड के हमारे वीर सैनिकों की बहादुरी और बलिदान की जीवंत गाथा के रूप में स्थापित होगा। सरकार द्वारा खटीमा में सैनिक मिलन केंद्र के निर्माण के साथ ही सी.एस.डी. कैंटीन का निर्माण भी कराया जा रहा है। साथ ही, टनकपुर में आधुनिक सुविधाओं से युक्त भव्य सैनिक विश्राम गृह का निर्माण भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज इस अवसर पर मैं, सभी को आश्वस्त करता हूँ कि हमारी सरकार सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों एवं बलिदानियों के आश्रितों के हितों के लिए इसी प्रकार निरंतर कार्य करती रहेगी।


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इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सैन्य धाम जैसा एक धाम टनकपुर-बनबसा-खटीमा क्षेत्र में जहां भूमि की उपलब्धता हो वहां पर सैन्य धाम का निर्माण कराए जाने हेतु कार्य किया जाए। इस हेतु सैनिक कल्याण मंत्री उत्तराखण्ड अपने स्तर से कार्यवाही करेंगे। इस अवसर पर कृषि एवं सैनिक कल्याण मंत्री श्री गणेश जोशी जी ने कहा कि इस सैनिक सम्मान समारोह में सैनिकों एवं उनके परिजनों को सम्मानित करने का अवसर मिला है यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार सैनिकों के कल्याण के लिए लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि शहीद सैनिकों के परिजनों को सरकारी नौकरी, वीरांगनाओं के पेंशन बढ़ाने का काम धामी सरकार ने किया। उन्होंने कहा कि 28 नदियों से जल व सैनिकों के घर से मिट्टी लेकर देहरादून में 5वां धाम सैन्य धाम बनकर तैयार हो गया है।



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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पूर्व सैनिकों की बेटियों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का भी प्रयास करेगी ताकि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकें। धामी ने और कहा कि "इस साल से 60 साल से अधिक उम्र के भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को भी मुफ्त बद्रीनाथ यात्रा की सुविधा दी जाएगी।" सी.एम. धामी ने कहा कि वह सैनिकों के बच्चों के प्रति सहानुभूति रखते हैं क्योंकि वह एक भूतपूर्व सैनिक के बेटे हैं। सी.एम. के अनुसार, उन्होंने भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की समस्याओं और चुनौतियों को करीब से देखा है। "मेरी सरकार भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण और उत्थान के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है।


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🙏🇮🇳जय हिन्द🇮🇳🙏 

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