बुधवार, 20 नवंबर 2024

देश के सभी सैनिक आरामगृहों की पूरी जानकारी #Sainik Rest 🏘️ Houses in India

🇮🇳सैनिक विश्राम गृहों की संपूर्ण जानकारी...🇮🇳



सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों या उनकी विधवाओं और आश्रितों सहित पूर्व सैनिक समुदाय को अक्सर विभिन्न उद्देश्यों के लिए यहां जाने की जरूरत पड़ती है :- 


१. पुनर्वास के मुद्दे के लिए।


२. चिकित्सा उपचार हेतू।


३. कानूनी कार्यवाही के लिए।


४. पेंशन से संबंधित कार्यवाही हेतू।


५. कैंटीन सुविधाओं का लाभ उठाने आदि के लिए।


६. अपने संबंधित जिला सैनिक बोर्ड / राज्य सैनिक बोर्ड में कार्य हेतू ।


७. तीर्थयात्रा / दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए।


८. छुट्टियों के दौरान शहर/शहरों का दौरा करते समय। 


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     जब उन्हें इन स्थानों पर थोड़े समय के लिए रहने के लिए एक अच्छे और किफायती आवास की आवश्यकता होती है। इस उद्देश्य के लिए, देश भर में विभिन्न स्थानों पर बड़ी संख्या में सैनिक विश्राम गृहों का निर्माण किया गया है। भूमि राज्य सरकार / केंद्र शासित प्रदेश द्वारा मुफ्त प्रदान की जाती है और इसका रखरखाव संबंधित राज्य सरकार / केंद्र शासित प्रदेश की जिम्मेदारी है। इन विश्राम गृहों का रखरखाव संबंधित राज्य / जिला सैनिक बोर्ड द्वारा किया जाता है। भारत सरकार निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार सैनिक विश्राम गृहों के निर्माण की लागत का 50% साझा करती है। संबंधित राज्यों में सैनिक विश्राम गृहों के अतिरिक्त, रक्षा भूमि पर नारायणा, नई दिल्ली में 8 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एक केंद्रीय सैनिक विश्राम गृह बनाया गया है, जिसका रखरखाव रक्षा मंत्रालय द्वारा केंद्रीय सैनिक बोर्ड (KSB) के माध्यम से किया जाता है, ताकि राष्ट्रीय राजधानी आने वाले पूर्व सैन्यकर्मियों के लिए रियायती दर पर अच्छे आवास की आवश्यकता को पूरा किया जा सके।


नई दिल्ली में आवास की बुकिंग प्रक्रिया :- 


     आवास के आरक्षण के लिए अनुरोध अधिकतम 15 दिन पहले स्वीकार किया जाएगा। सेवारत अधिकारियों/जे.सी.ओ./ओ.आर. के लिए बुकिंग उनके आगमन से अधिकतम एक दिन पहले स्वीकार की जाएगी। आवास की बुकिंग सभी कार्य दिवसों में 1030 बजे से 1730 बजे के बीच फोन नंबर 011-25777049 पर स्वीकार की जाएगी। अन्य पूर्व सैनिकों को असुविधा से बचाने के लिए बुकिंग की तारीख से आरक्षण रद्द करने के लिए कम से कम 24 घंटे पहले सूचना दी जानी चाहिए। OIC की पूर्व स्वीकृति के साथ, यदि आवास उपलब्ध है, तो सभी वॉक-इन मेहमानों को समायोजित किया जाएगा। कमरे/शयनगृह पहले आओ पहले पाओ के आधार पर निम्नलिखित प्राथमिकता के आधार पर आवंटित किए जाएंगे और किसी भी श्रेणी के लिए कोई आवास आरक्षित नहीं रखा जाएगा : -


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(क). पूर्व सैनिक और उनके आश्रित।


(ख). भूतपूर्व सैनिक, वे कार्मिक जो पुनर्वास पाठ्यक्रमों के लिए दिल्ली आते हैं।


(ग). रक्षा बलों के सेवारत कार्मिक और उनके परिवार/सिविल कार्मिक, यदि कोई रिक्ति हो।


सैनिक आराम गृह में ये सुविधाएं उपलब्ध हैं :-


१. सैनिक आराम गृह में भूतपूर्व सैनिक, उनके आश्रित, रक्षा बलों के सेवारत कार्मिक, और उनके परिवार या सिविल कार्मिक ठहर सकते हैं। 


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२. सैनिक आराम गृह में किसी भी तरह की मीटिंग या सम्मेलन करना मना है।


३. सैनिक आराम गृह में कमरे का किराया चौकीदार या केयर टेकर के मुताबिक जमा करना होता है।


४. सैनिक आराम गृह में कमरों, बारामत्रों, और परिसर में खाना पकाना मना है।

 

५. सैनिक आराम गृह में कुत्ता, बिल्ली आदि लाना मना है।


६. सैनिक आराम गृह में कोई भी बहुमूल्य वस्तु नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि नुकसान होने पर इसके लिए स्वयं ज़िम्मेदार रहना होगा।


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🙏🇮🇳जय हिन्द🇮🇳🙏 

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सोमवार, 18 नवंबर 2024

कुमाऊं रेजिमेंट के युद्ध नायकों को समर्पित "रेजांग ला एक्सप्रेस" का शुभारंभ #Major Saitan Singh Bhati, PVC Kumaon Regiment

हिन्दुस्तान की सबसे पुरानी रेजीमेंटों में से एक कुमाऊं रेजिमेंट के युद्ध नायकों को समर्पित रेजांग ला एक्सप्रेस का शुभारंभ.....


दिनांक 18 नवंबर 2024 का दिन भारतीय सेना के कुमाऊं रेजिमेंट के लिए बहुत ही खास, ऐतिहासिक एवं गर्वपूर्ण दिन है। इस दिन को हमेशा हमेशा के लिए याद किया जाएगा। कुमाऊं एवं नागा रेजिमेंट के कमांडेन्ट ब्रिगेडियर संजय कुमार यादव (VSM) ने इज्जतनगर रेलवे स्टेशन पर रेजांगला एक्सप्रेस की पहली लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह लोकोमोटिव कुमाऊं रेजिमेंट के युद्ध नायकों को समर्पित है और उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी।



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युद्ध में शहीद सैनिकों की गाथा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए रेलवे ने सेना के साथ मिलकर नई पहल की है। उसने पूर्वोत्तर रेलवे इज्जनगर में बेटल आफ रेजांगला के नाम से दो इंजन तैयार किए हैं। इन पर चीन के साथ हुए युद्ध के वीर सैनिकों की जीवन गाथा को उकेरा गया है।



भारत सरकार की एक बहुत ही शानदार कोशिश जो कि पुराने विदेशी नामों को  बदलकर भारतीय नामों से जानने की है। इसी क्रम में रेजांगला एक्सप्रेस का प्रेरणा स्रोत वह ऐतिहासिक रेजांगला का युद्ध है, जहां कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिकों ने अद्वितीय साहस और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया था, जब वे असाधारण चुनौतियों का सामना कर रहे थे। इस लोकोमोटिव को इन वीर योद्धाओं को समर्पित करके, भारतीय रेलवे और भारतीय सेना उनकी विरासत को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों को उनके देशभक्ति और शौर्य की कहानियों से प्रेरित करने का उद्देश्य रखते हैं।


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चीन युद्ध के वीरों की वीरगाथा बताने निकला 'बैटल ऑफ रेजांगला इंजन'


इज्जतनगर स्टेशन पर हुए कार्यक्रम में सेना बैंड की धुन के बीच हुए कार्यक्रम में डीआरएम रेखा यादव ने कहा कि रेलवे और सेना का प्रयास था कि इसके जरिए लोगों को चीन युद्ध में वीरगति को प्राप्त शहीदों के बारे में जानकारी दी जाए। यह इंजन मालगाड़ी में लग कर देश के विभिन्न स्टेशनों पर जाएंगे। ब्रिगेडियर कुमाऊं रेजिमेंट संजय यादव ने बताया कि 18 नवंबर 1962 को हुई जंग इतिहास में दर्ज है। किस तरह 18000 मीटर की ऊंचाई पर बर्फ के बीच भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को युद्ध में पराजित किया। सैनिकों की वीरगाथा इंजन पर स्कैनर के जरिए दर्शाई गई है। इस मौके पर एडीआरएम मोहम्मद शमीम, सीनियर डीसीएम संजीव शर्मा सहित रेल अधिकारी शामिल रहे।


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इस अवसर पर ब्रिगेडियर संजय कुमार यादव, विशिष्ट सेवा मेडल (VSM), कमान्डेंट कुमाऊं एवं नागा रेजिमेंट सेंटर ने सशस्त्र बलों के बलिदानों को पहचानने और उनका जश्न मनाने में भारतीय रेलवे के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने ऐसे वीरतापूर्ण कार्यों को याद रखने के महत्व को रेखांकित किया, जिससे सभी नागरिकों में गर्व और जिम्मेदारी की भावना जागृत हो सके। यह पहल, जिसे नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे विशेष रूप से इज्जतनगर डिवीजन के सहयोग से कार्यान्वित किया गया है, भारतीय सेना और नागरिकों के बीच मजबूत संबंधों को रेखांकित करती है। इस कार्यक्रम के दौरान शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जिसमें गणमान्य व्यक्तियों, अधिकारियों और नागरिकों ने एकत्र होकर उनकी स्मृति का सम्मान किया।


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यह पहल भारतीय सेना और भारतीय रेलवे की उस साझा प्रतिबद्धता का प्रमाण है जो राष्ट्र और इसके रक्षकों के सम्मान को बनाए रखने के लिए है। जय हिन्द 🇮🇳, जय भारत 🇮🇳 के नारे के साथ इस पहल को सदा हर हिन्दुस्तानी द्वारा याद किया जाएगा। 


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भारतीय रेल ने 1962 के युद्ध में चीनी सेना के दांत खट्टे करने वाली भारतीय सेना की ’13 कुमाऊं’ यूनिट (बटालियन) के सम्मान में अपने एक ट्रेन के इंजन को समर्पित किया है। भारतीय रेल ने इस इंजन को ‘रेज़ांगला ‘ नाम दिया है। क्योंकि पूर्वी लद्दाख के रेज़ांगला में ही 13 कुमाऊं के वीर सैनिकों ने अदम्य साहस, वीरता और बलिदान का परिचय दिया था। रेजांगला और ‘कुमाऊं रेजीमेंट’ लिखे इस ट्रेन के इंजन का वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में इंजन लोको-शेड से पहली बार बाहर आता दिखाई पड़ रहा है। इंजन पर 13 बटालियन, कुमाऊं रेजीमेंट और रेजांगला के साथ सेना का आदर्श वाक्य, ‘नाम, नमक और निशान’ भी लिखा हुआ है।


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1788 में हुई थी 🇮🇳कुमाऊं रेजीमेंट🇮🇳 की स्थापना.....


कुमाऊं रेजीमेंट की स्थापना वर्ष 1788 में हुई थी। जिसका मुख्यालय उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के रानीखेत में है। भारतीय सेना के वीरता का प्रथम सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित है। जो मेजर सोमनाथ शर्मा कुमाऊं रेजीमेंट को मरणोपरांत 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के लिए दिया था। 1962 के भारत और चीन युद्ध के लिए विशेष गौरवपूर्ण माना जाता है। सूत्रों के मुताबिक रक्षा और रेल मंत्रालय के बीच हुई उच्चस्तरीय वार्ता के बाद यह पहल की गई है। पिछले दिनों सेना के अफसरों ने भी डीजल शेड में इस कार्य का निरीक्षण किया था।



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🙏🇮🇳जय हिन्द🇮🇳🙏 

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जानिए,भारतीय सेना में पैदल सेना   दिवस  27 अक्टूबर का इतिहास  तथा  भारतीय सेना की वीरता और ऐतिहासिक जीत और योगदान ( Happy Infantry Day 2025...