🌹🌺ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।🌺🌹
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती जी के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व पर भगवान शिव और शिवलिंग की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। महाशिवरात्रि मनाने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।
🌹🌺शिवरात्रि का व्रत रखने से कई फ़ायदे होते हैं, जैसे कि :-
१. आत्मा की शुद्धि होती है।
२. नरक से मुक्ति मिलती है।
३. व्यवसाय में वृद्धि और नौकरी में तरक्की मिलती है।
४. मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
५. जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
६. सभी कष्टों का निवारण होता है।
७. विवाह से आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है।
८. चिर सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
९. परिवार में खुशहाली रहती है।
१०. भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
११. इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
१२. इस दिन विधिपूर्वक व्रत किया जाता है।
फौजी बीवियां भी कमाल...
१३. इस दिन शिवलिंग की भी विशेष आराधना करने की परंपरा है।
१४. इस दिन शिव मंदिरों में जाकर रुद्राभिषेक, महा मृत्युंजय जाप और शिव चालीसा का पाठ किया जाता है।
१५. इस दिन "ओम नमः शिवाय " मंत्र का जाप करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
१६. इस दिन भगवान शिव की कृपा भक्तों पर विशेष रूप से बनी रहती है।
🌹🌺महाशिवरात्रि का पौराणिक महत्व🙏🙏 :-
1. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन को शिव-पार्वती विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भक्तगण इस दिन शिवलिंग का अभिषेक कर सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
2. पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच यह विवाद हुआ कि उनमें सबसे शक्तिशाली कौन है। इस विवाद को हल करने के लिए भगवान शिव ने एक विशाल और अनंत शिवलिंग का प्राकट्य किया। ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने उस शिवलिंग का आदि और अंत जानने का प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे। तब उन्होंने भगवान शिव की महत्ता को स्वीकार किया और उनकी पूजा-अर्चना की। यही कारण है कि महाशिवरात्रि को भगवान शिव के शिवलिंग स्वरूप की उपासना का विशेष दिन माना जाता है।
3. एक अन्य मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था, जिससे ब्रह्मांड की समस्त ऊर्जा प्रभावित हुई। इस नृत्य के दौरान उनके शरीर से एक निराकार ऊर्जा प्रकट हुई, जिसे शिवलिंग का स्वरूप माना गया। इसीलिए महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
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🙏🌹शिवलिंग और पंचतत्व का संबंध...🌺🌹
शिवलिंग को पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश का प्रतीक माना जाता है। यही पांच तत्व हमारे शरीर के निर्माण के मूल तत्व भी माने जाते हैं। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और बेलपत्र से अभिषेक किया जाता है। ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।
🌹🌺महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व...🌺🌹
भगवान शिव को त्याग, तपस्या और ध्यान का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रत और उपवास रखने से मन और आत्मा की शुद्धि होती है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण और भगवान शिव की उपासना करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
🌹🌺कैसे करें महाशिवरात्रि की पूजा ?
महाशिवरात्रि के दिन भक्तगण शिवलिंग का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं। इस दिन रुद्राभिषेक और शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, और बेलपत्र अर्पित करना शुभ माना जाता है। "ओम नमः शिवाय" मंत्र का जाप करने से शिव कृपा प्राप्त होती है। इस दिन रात्रि जागरण और शिव कथा सुनने का विशेष महत्व है।
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🙏🌹क्या चढ़ाएं या अर्पित करें ?
महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवलिंग पर विशेष वस्तुएं अर्पित करके और निर्धारित नियमों का पालन करके आप भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, साथ ही शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से भी छुटकारा पा सकते हैं।
१. दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है, जिसे शिवलिंग पर अर्पित करने से मानसिक शांति मिलती है।
२. दही शुक्र का प्रतीक हैं, इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से जीवन में समृद्धि आती है।
३. शहद को सूर्यदेव का प्रतीक माना जाता है और इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से तेज और यश की प्राप्ति होती है।
४. घी को अग्नि का प्रतीक माना जाता है, जिसे शिवलिंग पर अर्पित करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
५. गंगाजल को मोक्ष का प्रतीक माना जाता है और भगवान शिव का इससे जलाभिषेक करने से सभी पाप नष्ट होते हैं।
६. बेल पत्र भगवान शिव का प्रिय माना जाता है और इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
७. धतूरा भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है और इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से शत्रुओं का नाश होता है।
८. फूल प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है और इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
९. चावल अन्न का प्रतीक माना जाता है और इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा...
🌹🌺महाशिवरात्रि के दिन इन बातों का भी रखें ध्यान🌹🙏
१. जल अर्पित करते समय "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप अवश्य करें।
२. शिवलिंग की परिक्रमा करते समय जलधारी को न लांघें।
३. शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करें।
४. शिवलिंग पर अर्पित की गई वस्तुओं को बाद में किसी पवित्र स्थान पर विसर्जित कर दें।
ज्योतिष के मुताबिक, शिव योग में की गई पूजा-पाठ से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और कार्य पूर्ण होते हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिव योग बनने पर भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है।
🌹🌺शिवरात्रि पर बनने वाले शिव योग से जुड़ी मान्यताएं :-
👉शिव योग में की गई पूजा-पाठ से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
👉शिव योग में की गई पूजा-पाठ से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
👉शिव योग में की गई पूजा-पाठ से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं।
👉शिव योग में की गई पूजा-पाठ से कुंडली से जुड़े ग्रह दोष भी शांत होते हैं।
👉शिव योग में की गई साधना आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति प्रदान करती है।
👉शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से साधक के कष्टों का निवारण होता है और उसके भाग्य में भी वृद्धि के योग बनते हैं।
👉शिवरात्रि के दिन चार प्रहरों में शिवलिंग का अभिषेक दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से किया जाता है।
👉इस दिन भगवान शिव के भक्त कल महाशिवरात्रि का व्रत करेंगे। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। कहते हैं कि इस दिन श्रद्धापूर्वक और सभी नियमों का ध्यान रखते हुए व्रत का पालन करने से जातकों को भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही जीवन के सभी कार्यों में सफलता भी मिलती है।
👉महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। कहते हैं इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए कुछ स्थानों पर महादेव के विवाह के लिए बारात भी निकालने की परंपरा है। हर जगह इस दिन अलग-अलग तरह से पूजा की जाती है, लेकिन घर में शुभ मुहूर्त में पूजा करने का खास महत्व होता है। मान्यता है कि शिवारात्रि के दिन शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान से पूजा करने वालों के जीवन में चल रही तमाम परेशनियां दूर होती हैं। वहीं विवाह में आ रही बाधाएं दूरी होती है। इसके अलावा भगवान शिव की कृपा से सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
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महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त...२०२५🌺🌹
महाशिवरात्रि के दिन निशिता काल में पूजा करने का खास महत्व है। पंचांग के अनुसार, इस दिन निशिता काल 26 फरवरी की रात 12 बजकर 9 मिनट से लेकर 12 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भक्तों को पूजा के लिए सिर्फ 50 मिनट का समय मिलेगा। इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन रात्रिजागरण का विशेष महत्व है और रात्रि में चार पहर की पूजा करना भी बहुत शुभ होता है, जिसका शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है :-
१. रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय शाम 06 बजकर 19 मिनट से रात्रि 09 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।
२. रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय 09 बजकर 26 से फरवरी 27 को रात्रि 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
३. रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय 27 फरवरी को रात्रि 12 बजकर 34 मिनट से 03 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
४. रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय 27 फरवरी सुबह 03 बजकर 41 मिनट से सुब 06 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
महाशिवरात्रि की पूजा के लिए जरूरी साम्रगी पहले से एकत्रित कर लेनी चाहिए। जो कि इस प्रकार है :- धूप, दीप, अक्षत, सफेद, घी, बेल, भांग, बेर, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, गंगा जल, कपूर, मलयागिरी, चंदन, पंच मिष्ठान, शिव व मां पार्वती के श्रृंगार की सामग्री,पंच मेवा, शक्कर, शहद, आम्र मंजरी, जौ की बालियां, वस्त्राभूषण, चंदन, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, दही, फल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, तुलसी दल, मौली जनेऊ, पंच रस, इत्र, गंध रोली, कुशासन आदि।
महाशिवरात्रि के दिन व्रत और महादेव की पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। उसके बाद व्रत संकल्प लें। घर के पास किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ पूरे शिव परिवार का षोटशोपचार पूजन करें। शिवलिंग पर सबसे पहले जल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, चंदन इत्यादि चीजें चढ़ाएं। भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। व्रत कथा का पाठ करें और अंत में आरती करने के बाद पूजा संपन्न करें। अगर घर पर ही पूजा करना चाहते हैं तो पूजा स्थल की साफ-सफाई कर लें। उसके बाद पूरे विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करे। इस दिन रात्रि जागरण और पूजन का विशेष महत्व है, इसलिए रात्रि पूजन से पहले स्नान अवश्य करें उसके बाद पुन: विधि-विधान से महादेव की पूजा करें।
फौजी फौजन एक दूसरे की यादों में...
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🙏🌹भगवान शिव के मंत्र (Maha Shivratri Mantra)
ॐ ऊर्ध्व भू फट्।
ॐ नमः शिवाय।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
ॐ इं क्षं मं औं अं।
ॐ प्रौं ह्रीं ठः।
ॐ नमो नीलकण्ठाय।
ॐ पार्वतीपतये नमः।
ॐ पशुपतये नमः।
महामृत्युंजय मंत्र का करें जाप...🌺🌹
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
भगवान शिव के उपदेशों के मुताबिक, हमें ईमानदारी से जीना चाहिए, नकारात्मकता से बचना चाहिए, और अपने कर्मों पर गौर करना चाहिए.
- झूठ, कपट, और धोखेबाज़ी से बचना चाहिए।
- भौतिक आकर्षण से बचना चाहिए।
- खुशी की तलाश अपने भीतर ही करनी चाहिए।
- पानी की तरह निराकार रहना चाहिए।
- शांत मन में हृदय और भावनाएं नियंत्रित होती हैं।
- ईश्वर में विलीन होना ही मनुष्य का वास्तविक उद्देश्य है।
- नकारात्मकता में सकारात्मक बने रहना चाहिए।
- बाहरी सुंदरता की जगह गुणों को चुनना चाहिए।
- अपनी प्राथमिकताओं को समझना चाहिए।
- किसी को भी ऐसे कामों में लिप्त नहीं होना चाहिए जो नैतिक रूप से गलत हो।
- मोह-माया सफलता के रास्ते में बाधा उत्पन्न करती है।
- सफलता चाहिए तो हमेशा सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।
भगवान शिव को बुराई का नाश करने वाला माना जाता है. उन्होंने कभी भी अन्याय नहीं सहा और बुराई के प्रतीक राक्षसों का नाश किया।