शनिवार, 29 अक्टूबर 2022

भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट के लिए क्यों खास है 27 अक्टूबर का दिन ?

Infantry Day या पैदल सेना दिवस  :- हर साल 27 अक्टूबर को देश की पैदल सेना के अभूतपूर्व शौर्य के सम्‍मान में मनाया जाता है. आजादी मिलने के फौरन बाद जम्मू और कश्मीर में भारतीय पैदल सेना के पहले मिलिट्री ऑपरेशन को याद करने के लिए ये दिन मनाया जाता है, जिन्होंने पाकिस्तानी आक्रमणकारियों से भारतीय क्षेत्र की रक्षा की थी. कश्‍मीर को जबरन हथियाने के पाकिस्‍तान के इरादों से भारतीय सेना ने डटकर लोहा लिया था, जिसके सम्‍मान में 27 अक्‍टूबर को पैदल सेना दिवस मनाया जाता है.




क्‍या है इस दिन का इतिहास 
     इस दिन भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट की पहली बटालियन और कुमाऊं रेजीमेंट की चौथी बटालियन श्रीनगर एयरबेस पहुंची और लड़ाई में असाधारण साहस और दृढ़ संकल्प दिखाया. उस समय, पाकिस्तानी रेंजरों को रोकने के लिए भारतीय सेना एक दीवार बन गई, जिन्होंने कबायली हमलावरों की मदद से कश्मीर में प्रवेश किया था. पाकिस्तानी आक्रमणकारी श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर की ओर बढ़ रहे थे. लिंक रोड के माध्यम से सैनिकों को भेजने में समय लगता और घाटी पाकिस्तानी आक्रमणकारियों के हाथों में आ जाती. 
     ऐसे में 26 अक्टूबर की रात को एक आपातकालीन बैठक आयोजित की गई और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सिख रेजीमेंट और कुमाऊं रेजीमेंट को वायुसेना की मदद से सीधे जंग के मैदान में उतारने का फैसला किया. 27 अक्टूबर को तड़के भारतीय वायु सेना के दो विमानों की मदद से सैनिकों के एक हिस्से को एयरलिफ्ट किया गया और शेष को निजी एयरलाइन उड़ानों द्वारा जंग के मैदान में उतार दिया गया. तब से, हर साल पैदल सेना के हजारों सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए इन्फैंट्री दिवस मनाया जाता है, जो ड्यूटी के दौरान शहीद हुए थे.


भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट के लिए क्यों खास है 27 अक्टूबर का दिन ?


1st Heero of the battle field : Major Somnath Sharma, PVC (Posthumous)




     कुमाऊं रेजीमेंट के मेजर सोमनाथ शर्मा, परमवीर चक्र (मरणोपरांत), 4 कुमाऊं रेजीमेंट को उनके अदम्य साहस एवं वीरता और उच्च स्तर की लीडरशिप के लिए ये सम्मान पहली बार भारतीय सेना के इस जाबांज नायक को दिया गया। हर साल 27 अक्टूबर को कुमाऊं रेजीमेंट स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
     मेजर सोमनाथ ने अपना सैनिक जीवन 22 फरवरी, 1942 से शुरू किया। जब इन्होंने चौथी कुमाऊं रेजीमेंट में बतौर कमिशंड आफिसर प्रवेश लिया। उनका फौजी कार्यकाल शुरू ही दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुआ और वह मलाया के पास के रण में भेज दिए गए। 26 अक्टूबर, 1947 को जब मेजर सोमनाथ की कंपनी को कश्मीर जाने का आदेश मिला तो उनके बाएं हाथ की हड्डी टूटी हुई थी, बाजू पर प्लास्टर चढ़ा था। वह कुमाऊं रेजीमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कमांडर थे। साथियों ने रोकने की कोशिश की तो जवाब मिला, 'सैन्य परंपरा के अनुसार जब सिपाही युद्ध में जाता है तो अधिकारी पीछे नहीं रहते हैं।' श्रीनगर के दक्षिण पश्चिम में युद्ध भूमि से करीब 15 किलोमीटर दूर बड़गांव में तीन नवंबर, 1947 को दुश्मनों से लोहा लेते हुए मेजर सोमनाथ शर्मा ने शहादत पाई थी। मेजर ने लगातार छह घंटे तक सैनिकों को लड़ने के लिए उत्साहित किया। यही कारण रहा कि पाकिस्तान को आगे बढ़ने नहीं दिया।
     मेजर सोमनाथ शर्मा नवंबर 1947 में श्रीनगर हवाई अड्डे से पाकिस्तानी हमलावरों को खदेड़ते हुए कश्मीर के बडगाम गाँव में गश्ती दल पर अपने आदमियों का नेतृत्व करते हुए मारे गए थे। उन्हें नवंबर 1950 में मरणोपरांत पहला परमवीर चक्र दिया गया था।
     ब्रिगेड मुख्यालय को भेजे गए अपने अंतिम संदेश में मेजर शर्मा ने कहा, "दुश्मन हमसे केवल 50 गज की दूरी पर है। हम भारी संख्या में हैं। हम विनाशकारी आग में हैं। मैं एक इंच भी पीछे नहीं हटूंगा, लेकिन आखिरी आदमी और आखिरी गोली तक लडूंगा।" (The enemy is only 50 yards from us. We are heavily outnumbered. We are under devastating fire. I shall not withdraw an inch but will fight to the last man and the last round)

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     नवंबर 1947 में श्रीनगर हवाई अड्डे से पाकिस्तानी हमलावरों को खदेड़ने के दौरान कश्मीर के बडगाम गाँव में गश्त पर अपने सैनिकों का नेतृत्व करते हुए युवा अधिकारी मारा गया था। हिमाचल प्रदेश के दाढ़ गांव के मूल निवासी को उनकी असाधारण बहादुरी के लिए मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
     कुमाऊं, नागा रेजीमेंट का गौरवशाली इतिहास स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। देश को पहला परमवीर चक्र दिलाने एवं तीन थल सेनाध्यक्ष देने सहित तमाम उपलब्धियां रेजीमेंट के नाम हैं। विभिन्न युद्ध-ऑपरेशनों में रेजीमेंट ने अग्रिम मोर्चों पर रहते हुए साहस, शौर्य व पराक्रम की इबारत लिखी। कुमाऊं रेजीमेंट ने रानीखेत में नागा रेजीमेंट को खड़ा कर नागालैंड वासियों का दिल भी जीता। वर्तमान में देश के विभिन्न हिस्सों में तैनात रेजीमेंट की 21 से अधिक बटालियनें देश और सीमाओं की रक्षा में जुटीं हैं।



     

     कहा जाता है कि कुमाऊं रेजीमेंट की उत्पत्ति हैदराबाद में 1788 में नवाब सलावत खां की रेजीमेंट के रूप में हुई। 1794 में इसे रेमंट कोर व बाद में निजाम कांटीजेंट का नाम दिया गया। इसमें बरार इंफैंट्री, निजाम आर्मी व रसेल ब्रिगेड को मिलाकर हैदराबाद कांटीजैंट बनाई गई। 1903 में इस बल का भारतीय सेना में विलय हुआ। 1922 में पुनर्गठन करके इसे हैदराबाद रेजीमेंट व 27 अक्टूबर 1945 को 'द कुमाऊं रेजीमेंट' का नाम दिया गया और रानीखेत में कुमाऊं रेजीमेंट सेंटर की स्थापना हुई। 4 कुमाऊं रेजीमेंट की डेल्टा कंपनी ने 1948 में कश्मीर के बडगाम में मेजर सोमनाथ शर्मा के नेतृत्व में वीरता के झंडे गाड़े। इस ऑपरेशन में अदम्य साहस का परिचय देते हुए मेजर सोमनाथ ने पाकिस्तानी कबायली हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए। मरणोपरांत उन्हें देश का पहला परमवीर चक्र मिला। 1962 में लद्दाख व नेफा क्षेत्र में 13 कुमाऊं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी ने मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में चीनी सेना के हौंसले पस्त किए, शैतान सिंह के पराक्रम व वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया। 1965 व 1971 के युद्धों सहित वर्तमान तक के तमाम युद्ध-ऑपरेशनों में कुमाऊं रेजीमेंट ने अग्रणी मोर्चों पर रहकर देश की सीमाओं की रक्षा की है।
     इसीलिए हर वर्ष 27 अक्टूबर को भारतीय पैदल सेना और कुमाऊं रेजीमेंट के वीर सैनिकों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

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रविवार, 16 अक्टूबर 2022

सेना की वर्दी का सपना देखने वाले शुरू करें ये 20 महत्वपूर्ण कार्य #Uniform Lovers make their habit #Indian Army Lovers

लक्ष्य न ओझल होने पाए, कदम मिलाकर चल ।

मंजिल तेरे पग चूमेगी, आज नहीं तो कल ॥

     भारतीय सेना में शामिल होने का सपना देखने वाले युवाओं और युवतियों की हमारे देश में कोई कमी नहीं है। इन्हीं में से ही बहुत से युवा सेना का हिस्सा बनकर देश सेवा में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। लेकिन कुछ युवा फिर भी अपने सपने साकार नहीं कर पाते हैं। हम लोग मेहनत तो बहुत करते हैं बिना अपने लक्ष्य को निर्धारित किए हुए। लेकिन अगर वही मेहनत सही दिशा में अपने goal को ध्यान में रखकर की जाए तो सफलता दूर नहीं होती है।


रिटायरमेंट व्यक्ति के जीवन का कड़वा सच...

आज से ही शुरू कर दें ये छोटे-छोटे 20 महत्वपूर्ण कार्य, जो आपका कैरियर बनाने में काफी मदद करते हैं :-

1  हमेशा घर में अपने माता-पिता जी और बड़े लोगों का आदर एवं सम्मान करें।

2  आप जिस भी धर्म या समुदाय से हैं और जिस भी भगवान जी को मानते हैं उनका हर दिन कम से कम 10 मिनट के लिए स्मरण करें।


3.   रोज एक पन्ना सेना के बारे में अखबार, किताब, इंटरनेट या कोई और माध्यम से जरूर पढें और उसको अपने डायरी या कॉपी में लिख लें। इस अभ्यास से आप लोग सेना के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल कर सकते हैं।


4.   सुबह रोज 4 बजे उठने का नियम बना लें। किसी भी प्रकार के बहाने को स्वीकार ना करें, जैसे आज छुट्टी है आज आराम से उठता हूं या आज बारिश हो रही है आज देर से उठूंगा।


5.   रोज सुबह लगभग 2 किलोमीटर दौड़ने का अभ्यास करें। और ध्यान रहें कि अभ्यास के दौरान पसीना जरूर निकल रहा है।


6.   शरीर में किसी भी प्रकार के टैटू ना बनवाएं। आंखों की एक्सरसाइज करते रहे। ज्यादा देर तक मोबाइल और कंप्यूटर के आगे ना बैठे रहें।


मातृशक्तियों का हमारे जीवन में आशीर्वाद...👇


7  अपने दांतों को रोज सुबह साफ करें और मसूड़ों की मालिश करें। कोई भी चीज खाने के बाद जरूर कुल्ला करें। जिससे आपके दांत हमेशा स्वस्थ रहेंगे।


8.   हमेशा पढ़ाई मन लगाकर करें। पढ़ाई में किसी भी प्रकार की शंका को संबंधित गुरु जी से जरूर पूछें और फाइनल परीक्षाओं में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होवें।


9.   हमेशा अपनी गलती को स्वीकारने की आदत बना लें। कभी भी झूठ ना बोलें और ना ही झूठे लोगों का साथ दें।


10.  ईमानदार लोगों की हमेशा प्रसंशा करें। 


11.  स्कूल या कॉलेज में अगर संभव हो तो NCC में जरूर भाग लें।


12.  कोशिश करें कि आप हर गेम को खेल सकते हों। अगर ना भी खेल पाओ तो सभी खेलों का ज्ञान जरूर हो। जैसे कितने खिलाड़ी खेलते हैं और कितने खिलाड़ी रिजर्व में रहते हैं। गेम खेलने के लिए ग्राउंड का मापदंड क्या है ?


प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा...


13.  अपने साथियों या जानने वालों से (जो सेना में हैं या रह चुके हैं) सेना के बारे में जानकारी प्राप्त करें। और उनका धन्यवाद भी जरूर करें।


14.  समय से पहले अपने सभी जरूरी दस्तावेजों को बनवा लें और उन्हें संभालकर रखें। ध्यान रहे आपके एजुकेशन सर्टिफिकेट, आधार कार्ड जन्म प्रमाण पत्र, स्थाई निवास प्रमाण पत्र पैन कार्ड आदि में एक ही जैसा नाम हो।


15.  हमेशा वर्दी वालों की दिल से इज्जत करें। और उनको अपना आदर्श मानें।


ये बीवियां भी बिना ट्रेनिंग के आधी फौजी...👇

16.  कोई भी युवा आपके नजदीकी या जानने वालों में से अगर सेना में भर्ती होता है। आप अगर संभव हो तो जरूर बधाई दें और अपने फ्रेंड सर्कल में उनकी सफलता की चर्चा करें।

17.  हमेशा जनरल नॉलेज (सामान्य ज्ञान), बेसिक गणित, जनरल साइंस और लॉजिकल रीजनिंग की प्रैक्टिस करते रहें।

18.  प्रैक्टिस पेपरों को समय के आधार पर अभ्यास करें।

19.  रोज कम से कम 5 से 10 मिनट प्राणायाम करें।

20.  अगर संभव हो तो कभी कभी Pull ups, Zigzak बैलेंस का अभ्यास भी जरूर करें।

   आप लोग अपनी eligibility भारतीय सेना की वेबसाइट  www.joinindianarmy.nic.in पर भी चैक कर सकते हैं। कृपया इन कार्यों को दिल से करके देखिए। आपको एक महीने में ही इसका असर दिखाई पड़ेगा। ध्यान रहे सबसे पहले ये चीजें दूसरों को पता चल जाती हैं क्योंकि वो रोज आपके साथ इंटरैक्ट करते हैं। 


नोट :- इसी प्रकार केन्द्रीय कर्मचारियों और रक्षा पेंशनरों से संबंधित सटीक जानकारी के लिए आप इस लिंक 👉 adhikariarmy.blogspot.com पर क्लिक कर सकते हैं या आप Google पर सीधे adhikariarmy.blogspot.com टाईप कर सकते हैं।

Request:- अगर आप लोगों को इस प्रकार की जानकारी फायदेमंद लगती हो तो कृपया यहां से आप अपने मोबाइल स्क्रीन को डेस्कटॉप साईट पर रखने के लिए दाएं ऊपर तीन बिन्दुओं : पर क्लिक करके Desktop Site पर क्लिक करें और उसके बाद आपके बाएं तरफ सबसे ऊपर Follow के ऑप्शन को क्लिक कर दें ताकि समय समय पर आपको वेलफेयर सम्बंधित latest जानकारी मिलती रहे।

🙏🇮🇳जय हिन्द🇮🇳🙏 

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Happy Infantry Day 2025 #भारतीय सेना एवं पैदल सेना दिवस का योगदान तथा महत्व और 27 अक्टूबर का इतिहास #Infantry Regiment

जानिए,भारतीय सेना में पैदल सेना   दिवस  27 अक्टूबर का इतिहास  तथा  भारतीय सेना की वीरता और ऐतिहासिक जीत और योगदान ( Happy Infantry Day 2025...